ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। गांधीनगर स्थित स्वामीनारायण अक्षरधाम में परम पूज्य महंत स्वामी महाराज के दिव्य आशीर्वाद से भगवान स्वामीनारायण के तपस्वी, युवा स्वरूप श्री नीलकंठ वर्णी महाराज की भव्य एवं अद्वितीय 49 फुट ऊंची धातु प्रतिमा की विधिवत प्राण प्रतिष्ठा की गई।
श्री नीलकंठ वर्णी की इस मूर्ति को पंचधातु (पांच धातु मिश्र धातु) से तैयार किया गया है। यह भगवान स्वामीनारायण की आध्यात्मिक विरासत के प्रति श्रद्धा दर्शाती है। स्वामीनारायण अक्षरधाम धार्मिकता, आत्म-अनुशासन, करुणा और ज्ञान के मूल्यों का प्रतीक है, जो व्यक्तियों को दिव्य उद्देश्य का जीवन जीने का मार्ग दिखाता है।
भगवान स्वामीनारायण का किशोर रूप
श्री नीलकंठ वर्णी की शानदार 49 फीट की मूर्ति, भारत भर में अपनी आध्यात्मिक तीर्थयात्रा के दौरान भगवान स्वामीनारायण के किशोर रूप को दर्शाती है। 11 वर्ष की आयु में, भगवान स्वामीनारायण ने घर त्याग दिया और मानसरोवर से कन्याकुमारी और असम से गुजरात तक सात साल की 12,000 किलोमीटर की यात्रा पर निकल पड़े, जिन्हें नीलकंठ वर्णी के रूप में पूजा जाता है।
उन्होंने हिमालय में पवित्र मानसरोवर और मुक्ति नाथ में एक पैर पर खड़े होकर कठोर तपस्या की और सभी के कल्याण के लिए प्रार्थना की।