ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। दुनियाभर में विश्व मधुमेह दिवस मनाया गया। यह खास दिन हर साल इस रोग की गंभीरता को देखते हुए लोगों के स्वास्थ्य पर मधुमेह के प्रभाव के बारे में जागरूकता बढ़ाने और मधुमेह की रोकथाम, निदान और उपचार को मजबूत करने के अवसरों को उजागर करने के लिए मनाया जाता है। ज्यादातर लोग इस बात को जानते हैं कि आहार में जरूरत से ज्यादा चीनी न सिर्फ वयस्कों को बल्कि छोटे बच्चों की सेहत को भी नुकसान पहुंचाती है। बहुत कम लोग इस बात को जानते हैं कि बच्चे के लिए मधुमेह के जोखिम की शुरूआत अपनी मां के गर्भ में आने पर ही हो जाती है। जिसके बाद बच्चों के लिए भी सतर्कता बरतनी बेहद जरूरी हो जाती है। शैल्बी सनार इंटरनेशनल हॉस्पिटल, गुरुग्राम में इंटरनल मेडिसिन एंड डायबिटोलॉजी डिपार्टमेंट के हेड और कंसलटेंट डॉ. शिवम, कहते हैं कि बच्चों में भी संतुलित पोषण को महत्व देना जरूरी है, उनके आहार में फल, सब्जियां, साबुत अनाज, प्रोटीन से भरपूर आहार जैसे पोल्ट्री, फिश, बीन्स और नट्स को शामिल करना चाहिए।
प्रोसेस्ड फूड का सेवन सीमित कर बच्चों की सेहत को अच्छा बनाए रखा जा सकता है। ऐसा करके आप उनमें खान-पान की अच्छी आदतें विकसित करते हैं। जिससे भविष्य में उन्हें लाइफस्टाइल से जुड़े रोग जैसे मोटापा, डायबिटीज और दिल की बीमारियों का खतरा कम बना रहता है। आहार में प्रोसेस्ड फूड को कम करने से चीनी की मात्रा खुद ही कम हो जाती है।
आहार में अतिरिक्त चीनी क्या है
साधारण भाषा में कहें तो चीनी का उपयोग खाने-पीने की चीजों में मिठास बढ़ाने के लिए किया जाता है। यह बाजार में मिलने वाले या घर में बने खाद्य पदार्थों में शामिल की जाती है। चीनी का अर्थ सिर्फ व्हाइट शुगर से ही नहीं है, फलों के रस, सिरप में भी मिठास होती है। अगर आप अपने बच्चे को सादा दूध, दही, साबुत फल या सब्जियां दे रहे हैं तो अतिरिक्त चीनी का जोखिम कम हो जाता है। बच्चों में ज्यादा चीनी का सेवन करने से दांत भी खराब हो सकते हैं। जिसका असर इम्यून सिस्टम पर पड़ता है और व्यक्ति जल्दी बीमार पड़ता है।
बच्चे के आहार में चीनी की मात्रा को कंट्रोल करने के लिए टिप्स
जूस और चीनी युक्त पेय पदार्थों का सीमित सेवन बच्चे को कोई भी खाद्य या पेय पदार्थ देने से पहले उसी बोतल का लेबल पढ़कर चेक करें, कि उसमें चीनी की मात्रा कितनी है। बाजार में मिलने वाले ज्यादातर जूस में चीनी की मात्रा बहुत अधिक होती है जबकि पोषक तत्व न के बराबर होते हैं। बच्चों को ऐसे पेय पदार्थ सीमित मात्रा में ही दें।
प्रोसेस्ड अनाज और स्नैक्स से बचें
जब आप बच्चे को प्रोसेस्ड फूड का नाश्ता करने के लिए देते हैं, तो उसमें पोषण की मात्रा न के बराबर होती है। बच्चों को इन्हें देने से पहले इनके ऊपर लिखे शुगर कंटेंट की मात्रा को जरूर पढ़ लें। योगहर्ट और स्नैक्स, जिन्हें सेहतमंद कहा जाता है, उनमें भी चीनी की अतिरिक्त मात्रा हो सकती है।
बच्चे को सब्जियां व फल खाने की आदत डालें
पेस्ट्री या कैंडी की जगह प्राकृतिक आहार हमेशा बेहतर विकल्प होते हैं। इसके लिए उन्हें केला, मौसमी फल जैसे आम आदि खाने की आदत डालें। बच्चों के टेस्ट के लिए पास्ता या नूडल्स बनाते समय उनमें भी कई तरह की हरी सब्जियों को शामिल करें।
गर्भवती महिलाओं को सलाह
अगर आप मां बनने वाली हैं तो अपने आहार में कार्बोहाइड्रेट की सही मात्रा और पौष्टिक चीजों को शामिल करें। ऐसा करके आप अपने शुगर लेवल को कंट्रोल रख सकती हैं। फलों में प्राकृतिक मिठास होती है, इसलिए चीनी युक्त खाद्य पदार्थों की जगह एक बाउल रोजाना मौसमी फलों का सेवन करें। । फाइबर का भरपूर मात्रा में सेवन करें। इसके लिए आहार में ब्राउन राईस, साबुत ओट्स, मिलेट और अन्य साबुत अनाज एवं दालों को डाइट में शामिल करें। एक बार में एक कप से ज्यादा दूध न पिएं, ऐसा करने से ब्लड शुगर लेवल बढ़ सकता है। गर्भवती महिलाओं को मिठाइयों का अधिक सेवन करने से बचना चाहिए। इसकी जगह कोई हेल्दी स्नैक्स डाइट में शामिल करें। एक साथ पेट भरकर खाने की जगह थोड़ी-थोड़ी मात्रा में खाएं, इससे ब्लड शुगर का लेवल अचानक नहीं बढ़ेगा।
याद रखें, सेहतमंद जीवनशैली अपनाने में थोड़ा समय लगता है, इसलिए छोटे-छोटे प्रयासों से शुरूआत करें, जो आपके और आपके होने वाले बच्चे, दोनों के लिए फायदेमंद होंगे।