ब्लिट्ज ब्यूरो
कोच्चि। केरल हाईकोर्ट ने कहा है कि सिर्फ महिलाओं का ही नहीं, बल्कि पुरुषों का भी ‘गौरव’ होता है, उनकी भी ‘गरिमा’ होती है। हाईकोर्ट ने वरिष्ठ अभिनेता एवं निर्देशक बालचंद्र मेनन को 2007 में एक फिल्म के शूट के दौरान एक महिला कलाकार के कथित यौन उत्पीड़न मामले में अग्रिम जमानत देते हुए टिप्पणी की।
न्यायमूर्ति पी. वी. कुन्हीकृष्णन ने सुनवाई के दौरान कहा कि मौजूदा मामला एक महिला के बयान के आधार पर और वह भी 17 साल बाद दर्ज किया गया। यह सच है कि जांच जारी है लेकिन सभी को यह याद रखना चाहिए कि गौरव और गरिमा केवल महिलाओं की ही नहीं, बल्कि पुरुषों की भी होती है। न्यायमूर्ति हेमा समिति की रिपोर्ट जारी होने के बाद इस वर्ष सितंबर में अभिनेता के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। मेनन ने अपनी याचिका में तर्क दिया था कि शिकायत 2007 में कथित घटना की तारीख से 17 साल बाद की गई और इसका उद्देश्य उनकी छवि खराब करना है। जमानत देने का उपयुक्त मामला अदालत ने कहा कि यह एक स्वीकृत तथ्य है कि पीड़िता ने कथित घटना के 17 साल बाद शिकायत दर्ज कराई। यह एक स्वीकृत तथ्य है कि याचिकाकर्ता (मेनन) एक प्रसिद्ध सिने कलाकार हैं। उन्होंने लगभग 40 फिल्मों का निर्देशन किया और उन्हें दो राष्ट्रीय पुरस्कार मिले। उन्हें राष्ट्र द्वारा पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया। अदालत ने कहा कि यह न्याय के हित में याचिकाकर्ता को जमानत देने का उपयुक्त मामला है।
इन शर्तों का पालन करेंगे मेनन
अदालत ने मेनन को पूछताछ के लिए दो सप्ताह के भीतर जांच अधिकारी के समक्ष उपस्थित होने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा, पूछताछ के बाद यदि जांच अधिकारी याचिकाकर्ता (मेनन) को गिरफ्तार करने का प्रस्ताव रखता है, तो उन्हें गिरफ्तार करने वाले संबंधित अधिकारी की संतुष्टि के लिए अभिनेता को 50,000 रुपये के मुचलके और समान राशि के दो जमानतदारों पर जमानत पर रिहा किया जाएगा। उसने निर्देश दिया कि मेनन आवश्यक पड़ने पर पूछताछ के लिए जांच अधिकारी के समक्ष उपस्थित होंगे, जांच में सहयोग करेंगे।