ललित दुबे
वाशिंगटन। भारतीय मूल की अमेरिकी एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स को धरती पर लौटने में और ज्यादा वक्त लग सकता है। नासा ने कहा कि अब अंतरिक्ष यात्रियों को कम से कम मार्च 2025 के अंत का इंतजार करना होगा। यह तारीख अप्रैल की शुरुआत तक भी बढ़ सकती है।
नासा के मुताबिक सुनीता विलियम्स को अंतरिक्ष से वापस लाने के लिए स्पेसएक्स को नया कैप्सूल बनाना है। इसे बनाने में वक्त लगेगा, जिस वजह से मिशन में देरी होगी। यह काम मार्च के अंत तक पूरा किया जा सकता है। इसके बाद ही स्पेस में फंसे एस्ट्रोनॉट्स को वापस लाया जा सकेगा।
सुनीता विलियम्स 5 जून को बुच विल्मोर के साथ इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर गई थीं। उनकी ये यात्रा सिर्फ 8 दिनों की थी लेकिन स्पेसक्राफ्ट में खराबी आ जाने की वजह से वो धरती पर वापस नहीं आ सकीं। दोनों अंतरिक्ष यात्रियों के स्पेस में फंसे हुए छह महीने से ज्यादा हो चुके हैं।
इसके पहले नासा ने सुनीता और बुच विल्मोर को फरवरी 2025 में मस्क की कंपनी स्पेसएक्स के ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट से वापस लाने की जानकारी दी थी।
इससे पहले नासा ने 17 दिसंबर को एक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए सुनीता और डॉन पेटिट की तस्वीर शेयर की थी। तस्वीर में दोनों एस्ट्रोनॉट्स क्रिसमस को लेकर उत्साहित दिख रहे थे और सैंटा की कैप लगाए हुए थे। नासा ने इस पोस्ट को ‘एक और दिन, एक और स्लेज’ कैप्शन के साथ शेयर किया था।
सुनीता और बुश विलमोर बोइंग और नासा के जॉइंट ‘क्रू फ्लाइट टेस्ट मिशन’ पर गए थे। इसमें सुनीता, स्पेसक्राफ्ट की पायलट थीं। उनके साथ गए बुश विलमोर इस मिशन के कमांडर थे। दोनों को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में 8 दिन रुकने के बाद वापस पृथ्वी पर आना था। लॉन्च के समय बोइंग डिफेंस, स्पेस एंड सिक्योरिटी के प्रेसिडेंट और सीईओ टेड कोलबर्ट ने इसे स्पेस रिसर्च के नए युग की शानदार शुरुआत बताया था। इस मिशन का उद्देश्य स्पेसक्राफ्ट की एस्ट्रोनॉट्स को स्पेस स्टेशन तक ले जाकर वापस लाने की क्षमता साबित करना था।
एस्ट्रोनॉट्स को स्पेस स्टेशन पर 8 दिन में रिसर्च और कई एक्सपेरिमेंट भी करने थे। सुनीता और विलमोर पहले एस्ट्रोनॉट्स हैं जो एटलस-वी रॉकेट के जरिए स्पेस ट्रैवेल पर भेजे गए। इस मिशन के दौरान उन्हें स्पेसक्राफ्ट को मैन्युअली भी उड़ाना था। फ्लाइट टेस्ट से जुड़े कई तरह के ऑब्जेक्टिव भी पूरे करने थे।