ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने केजेएस सीमेंट (आई) लि. के निदेशक पवन कुमार आहलुवालिया और अन्य के खिलाफ दर्ज दूसरी एफआईआर को रद करने से इन्कार कर दिया है। आरोपियों के खिलाफ वित्तीय गड़बड़ी के गंभीर आरोप लगाए गए हैं।
कंपनी के दिवंगत संस्थापक केजेएस आहलुवालिया की बेटी हिमांगिनी सिंह ने दूसरी एफआईआर दर्ज कराई है। उन्होंने पवन और अन्य निदेशकों पर कंपनी के पैसों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया। इससे कंपनी को भारी वित्तीय नुकसान हुआ। पहले दर्ज एफआईआर में आरोप अलग थे। वहीं दूसरी में नए विवरण और आरोप थे। इससे पहले 29 अक्तूबर को दिल्ली हाईकोर्ट ने दूसरी एफआईआर को रद करने से इन्कार कर दिया था और फैसला सुनाया था कि यह पहली एफआईआर दर्ज होने के बाद सामने आए नए तथ्यों पर आधारित है।
कोर्ट ने कहा था कि दोनों एफआईआर में कथित कदाचार के विभिन्न पहलुओं का जिक्र है और इसमें ‘दोहरे खतरे’ के सिद्धांत का उल्लंघन नहीं किया गया है, जो एक ही अपराध के लिए कई आरोप लगाने पर रोक लगाता है।
जस्टिस बेला त्रिवेदी और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ में सुनवाई
पवन कुमार अहलूवालिया ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। जस्टिस बेला त्रिवेदी और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने मामले की सुनवाई की। पीठ ने चुनौती याचिका को खारिज कर दिया और प्रभावी रूप से दूसरी एफआईआर को बरकरार रखा।