ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बच्चे से मिलने के माता-पिता के अधिकार से जुड़े एक मामले में कहा है कि पिता को बच्चे से मिलने का अधिकार है लेकिन यह अधिकार बच्चे के स्वास्थ्य और खुशहाली की कीमत पर नहीं हो सकता। मद्रास हाई कोर्ट के आदेश में संशोधन कर पिता और बच्चे के मिलने का स्थान करूर के बजाए मदुरै कर दिया है ताकि छोटी बच्ची को इस मिलाई के लिए हर सप्ताह 300 किलोमीटर की यात्रा न करनी पड़े।
सुप्रीम कोर्ट ने कही ये बात
ये आदेश न्यायमूर्ति विक्रमनाथ और प्रसन्ना बी. वाराले की पीठ ने मां की याचिका आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए दिए। शीर्ष अदालत ने कहा कि छोटे बच्चे के हित सर्वोपरि हैं। माता पिता के अधिकारों का निर्धारण करते वक्त बच्चे की सेहत से समझौता नहीं हो सकता। पिता को बच्चे से मिलने का अधिकार है लेकिन ये बच्चे के स्वास्थ्य और सुख की कीमत पर नहीं हो सकता।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश भी जानिए
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि पिता हर रविवार सुबह 10 से 2 बजे तक बच्ची से मिल सकते हैं। पिता बच्ची से मदुरै में किसी सार्वजनिक पार्क या मंदिर में मिलेंगे। बच्ची अभी छोटी है इसलिए करीब 10 फिट की दूरी पर मां भी मौजूद रहेगी। 10 बजे बच्ची पिता को सौंपी जाएगी और दो बजे पिता बच्ची मां को सौंप देंगे।
मालूम हो कि मां ने पति पर क्रूरता का आरोप लगाते हुए तलाक का मुकदमा दाखिल कर रखा है। तलाक का मुकदमा लंबित रहने के दौरान ही पिता ने अर्जी देकर बच्ची से मिलने का अधिकार मांगा था जिस पर परिवार अदालत ने मां को हर सप्ताह बच्ची को मदुरै से करूर ले जाकर दो घंटे के लिए पिता से मिलाने का आदेश दिया था। हाई कोर्ट ने भी आदेश को सही ठहराया था और मिलने का समय बढ़ा कर चार घंटे कर दिया था।