ब्लिट्ज ब्यूरो
ओटावा। कनाडा में प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के इस्तीफे के बाद उनके 10 साल पुरानी सत्ता का अंत हो गया है। ट्रूडो के इस्तीफे से पहले एक अधिकारी ने बताया कि सरकार के प्रति बढ़ते असंतोष के कारण उन्होंने पद छोड़ने का फैसला लिया। ट्रूडो के अलावा वित्त मंत्री भी इस्तीफा दे चुके हैं। ऐसे में कनाडा की राजनीति में अस्थिरता बढ़ने के संकेत हैं।
कनाडाई सरकार के एक अधिकारी ने कहा, सत्ताधारी लिबरल पार्टी में अगले नेता का चुनाव होने तक ट्रूडो कार्यवाहक प्रधानमंत्री बने रहेंगे। अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि देश की संसद का सत्र 27 जनवरी से प्रस्तावित था। अब इस्तीफे के कारण संसद की कार्यवाही 24 मार्च तक स्थगित रहेगी। अधिकारी ने बताया कि 24 मार्च तक लिबरल पार्टी अपने नए नेता का चुनाव कर लेगी। सियासी उथल-पुथल के बीच यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि कनाडा में आम चुनाव कब कराए जाएंगे।
वहीं प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा, ‘मैं पार्टी नेता के पद से तथा पार्टी द्वारा अगले नेता का चयन करने के बाद प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा दे रहा हूं। मैंने लिबरल पार्टी के अध्यक्ष से यह प्रक्रिया शुरू करने को कहा’।
2015 में प्रधानमंत्री बने थे
ट्रूडो से पहले दस साल तक कनाडा में कंजर्वेटिव पार्टी का शासन था। शुरुआत में उनकी नीतियों को सराहा गया था लेकिन हाल के वर्षों में बढ़ती खाद्य और आवास की कीमतों और बढ़ते आप्रवासन के कारण उनका समर्थन घट गया है।
ट्रंप की चेतावनी का भी असर
यह राजनीतिक उथल-पुथल ऐसे समय में हुई है, जब अमेरिका के नव निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चेतावनी दी है कि अगर कनाडा अपने यहां अमेरिका में आने वाले अप्रवासी और नशीली दवाओं को रोकने में विफल रहा तो कनाडा के सभी सामानों पर 25 फीसदी शुल्क लगा दिया जाएगा।
क्रिस्टिया फ्रीलैंड ने भी दिया था
वित्त मंत्री के पद से इस्तीफा
कनाडा की पूर्व वित्त मंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड ने 16 दिसंबर को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने अर्थव्यवस्था से जुड़े ट्रुडो के फैसलों की आलोचना की थी। फ्रीलैंड और ट्रूडो के बीच नीतियों पर मतभेद थे। फ्रीलैंड का कहना था कि इस समय कनाडा को आर्थिक रूप से मजबूत रहना चाहिए और खर्चों को नियंत्रण में रखना चाहिए, ताकि अगर अमेरिका से किसी प्रकार के आर्थिक दबाव या शुल्क का सामना करना पड़े, तो कनाडा के पास पर्याप्त वित्तीय संसाधन हों। उनका मानना था कि ब्रिकी कर पर अस्थायी छूट और नागरिकों को 250 डॉलर भेजने जैसी योजनाएं राजनीतिक दिखावा हैं और इनसे आर्थिक स्थिति पर बुरा असर पड़ सकता है।