ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। मॉब लिंचिंग को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इसके पीड़ितों के लिए एक समान मुआवजे पर आदेश देने से इनकार किया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये राज्य और न्यायपालिका का अधिकार है कि वो मुआवजा तय करें। हम दिल्ली में बैठकर देशभर की मॉनिटरिंग नहीं कर सकते। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि कानून को लागू करने के सवाल पर उन राज्यों के हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करनी चाहिए, जिन राज्यों ने इस कानून को लागू नहीं किया है।
केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि बीएनएस (भारतीय न्याय संहिता) के तहत भी इसे अपराध घोषित किया गया है। कानून को अपना काम करने देना चाहिए। लोग अलग अलग मामले लेकर सुप्रीम कोर्ट आ जाते है। एसजी तुषार मेहता ने कहा कि जब घटनाएं होती हैं, तब राज्य का कर्तव्य है कि वह सुनिश्चित करे कि ऐसा न हो और फिर मुकदमा चलाए।