ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सभी दिव्यांग अभ्यर्थी, दिव्यांगता के मानदंडों को पूरा किए बिना भी परीक्षा लिखने के लिए लेखक (स्क्राइब) ले सकते हैं।
न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने कहा कि इसका उचित और न्यायोचित अनुपालन सुनिश्चित करना केंद्र की जिम्मेदारी है। पीठ ने कहा, इस न्यायालय के निर्देशों के अनुसरण में प्रतिवादी संख्या 5 (केन्द्र) द्वारा जारी दिशा-निर्देशों को लागू किया जाना चाहिए, ताकि पीडब्ल्यूडी (बेंचमार्क दिव्यांगता वाले व्यक्ति) उम्मीदवारों को मिलने वाले लाभ को सभी दिव्यांग उम्मीदवारों को बिना किसी बाधा के परीक्षा देने में दिया जा सके।
इसलिए कोर्ट ने केंद्र को 10 अगस्त, 2022 के कार्यालय ज्ञापन पर फिर से विचार करने, प्रतिबंधों को हटाने और उचित तरीके से छूट देने का निर्देश दिया।
शीर्ष अदालत ने सभी प्राधिकारियों, भर्ती एजेंसियों और परीक्षा निकायों को निर्देश दिया कि वे केंद्र द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का समान रूप से पालन करें और समय-समय पर सर्वे या वेरिफिकेशन के जरिए इसका कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करें।
इसने कार्यालय ज्ञापनों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए परीक्षा आयोजित करने वाली संस्थाओं के बीच जागरूकता के लिए शैक्षणिक संस्थानों में समय-समय पर संवेदनशीलता अभियान चलाने का निर्देश दिया।
शिकायत निवारण पोर्टल स्थापित करने का निर्देश
केंद्र को शिकायत दर्ज करने के लिए एक शिकायत निवारण पोर्टल स्थापित करने का निर्देश दिया गया ताकि अभ्यर्थी पहले अदालत में जाकर अपनी शिकायत दर्ज करा सकें। शीर्ष अदालत ने केंद्र से कहा कि वह ‘स्क्राइब’ सर्टिफिकेट की वैधता बढ़ाए, जो वर्तमान में केवल छह महीने के लिए वैध है, ताकि आवेदन करने के बाद लंबे इंतजार से बचा जा सके, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में और परीक्षा से पहले उम्मीदवारों को स्क्राइब से परिचित होने के लिए कुछ समय दिया जा सके। सर्वोच्च न्यायालय ने प्राधिकारियों को अपने निर्देशों का पालन करने के लिए दो महीने का समय दिया है।
यह निर्देश एक अभ्यर्थी द्वारा दायर जनहित याचिका पर आया, जिसमें उसने बैंक परीक्षाओं के लिए अपनी विकलांगता के आधार पर ‘स्क्राइब’ की सुविधा, प्रतिपूरक समय और अन्य सभी सुविधाओं की मांग की थी।