ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से केंद्रीय मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण, राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण और मानसिक स्वास्थ्य समीक्षा बोर्ड की स्थापना और उसकी कार्यप्रणाली के बारे में जानकारी देने का निर्देश दिया है। सुनवाई के दौरान जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस पीके मिश्रा की पीठ ने केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी को 21 मार्च तक एक विस्तृत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया जिसमें प्राधिकरण व समीक्षा बोर्ड में वैधानिक और अनिवार्य नियुक्तियों का भी जिक्र होना चाहिए।
अधिवक्ता गौरव कुमार बंसल ने शीर्ष अदालत में दाखिल अपनी याचिका में मानसिक स्वास्थ्य देखभाल की आवश्यकता वाले व्यक्तियों के लिए दिशा-निर्देश जारी करने का अनुरोध किया है। साल 2018 में दाखिल अपनी याचिका में बंसल ने आरोप लगाया था कि उत्तर प्रदेश के बदायूं के एक आश्रय गृह में मानसिक बीमारियों से जूझ रहे व्यक्तियों को जंजीरों से बांधकर रखा गया था, जो मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017 के प्रावधानों का उल्लंघन है।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मानसिक बीमारियों से जूझ रहे मरीजों को जंजीर से बांधने की इजाजत नहीं दी जा सकती। अदालत ने ऐसे कृत्यों को नृशंस, अमानवीय और संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत गारंटीकृत जीवन व व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकारों का उल्लंघन करार दिया था।