ब्लिट्ज ब्यूरो
देहरादून। प्रदेश में सख्त भू-कानून के लिए उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950) (संशोधन) विधेयक, 2025 विधानसभा में ध्वनिमत से पारित हाे गया।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि हमारा संकल्प उत्तराखंड के संसाधनों और उसकी भूमि को भू-माफिया से बचाए रखना है। भू-कानून में यह संशोधन भू-सुधारों में अंत नहीं अपितु एक शुरुआत है। राज्य सरकार ने जन भावनाओं के अनुरूप भू-सुधारों की नींव रखी है। आगे भी अनवरत रूप से यह कार्य किया जाएगा।
सख्त भू-कानून की खास बातें
नए कानून के अनुसार आवासीय उपयोग के लिए 250 वर्गमीटर भूमि खरीदने के लिए शपथ पत्र देना होगा। बाहरी व्यक्ति हरिद्वार व ऊधम सिंह नगर को छोड़कर शेष 11 जिलों में कृषि व बागवानी के लिए भूमि नहीं खरीद सकेंगे। उद्योग, होटल, चिकित्सा समेत विभिन्न प्रयोजन के लिए भी भूमि खरीद सकेंगे, इसके लिए संबंधित विभागों से भूमि अनिवार्यता प्रमाणपत्र लेना होगा। भूमि खरीद की अनुमति जिलाधिकारी के स्थान पर शासन देगा।
विधानसभा के बजट सत्र के चौथे दिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सदन में पहुंचकर इस विधेयक को सर्वसम्मति से पारित करने का अनुरोध सभी विपक्षी विधायकों से किया। विधेयक को गत दिवस सदन के पटल पर रखा गया था। मुख्यमंत्री के अनुरोध को कांग्रेस ने नहीं माना। नेता प्रतिपक्ष यशपाल और विधायक काजी निजामुद्दीन ने विधेयक प्रवर समिति को सौंपने की मांग की। चर्चा में भाग लेते हुए मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि सरकार कई नए महत्वपूर्ण मामलों पर ऐतिहासिक निर्णय ले रही है। जिन उद्देश्यों से कई व्यक्तियों ने जमीन खरीदी, उसका दुरुपयोग हुआ। उत्तराखंड में पर्वतीय के साथ मैदानी इलाके भी हैं। जिनकी भौगोलिक परिस्थिति एवं चुनौतियां अलग-अलग हैं। पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने राज्य के लिए औद्योगिक पैकेज दिया, तब से राज्य सरकार बड़ी संख्या में औद्योगीकरण की ओर जा रही है। ऐसे में राज्य में आने वाले असल निवेशकों को कोई दिक्कत न हो, निवेश भी न रुके। उसके लिए इस नए कानून में सभी को समाहित किया गया है।