ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। भारत ने पश्चिम बंगाल में स्थित सिलीगुड़ी गलियारे को मजबूत करने के लिए बड़े पैमाने पर कदम उठाए हैं। इस गलियारे को ‘चिकन नेक’ के नाम से भी जाना जाता है। यह संकीर्ण भू-भाग है जो भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ता है। बांग्लादेश और चीन की इस रणनीतिक गलियारे पर बढ़ती दिलचस्पी ने भारत को अपनी सुरक्षा तैयारियों को और मजबूत करने के लिए प्रेरित किया है।
भारतीय सेना की तैनाती और तैयारियां
भारतीय सेना ने इस कॉरिडोर की सुरक्षा को लेकर बहुस्तरीय रणनीति अपनाई है। भारतीय सेना ने ‘चिकन नेक’ के इलाके में राफेल और मिग की तैनाती की है। हाशिमारा एयरबेस पर राफेल लड़ाकू विमानों की तैनाती की गई है। ब्रह्मोस मिसाइल रेजिमेंट भी एक्टिव है। सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस की एक पूरी रेजिमेंट क्षेत्र में तैनात है। दुश्मन के हवाई हमलों से बचाव के लिए एस-400, एमआरएसएएम और आकाश मिसाइलें तैनात हैं। इसके अलावा, सुकना स्थित त्रिशक्ति कोर द्वारा लगातार युद्ध अभ्यास किए जाते हैं, जिनमें टी-90 टैंकों के साथ लाइव फायर ड्रिल्स भी शामिल हैं।
क्षेत्रीय समीकरण और रणनीतिक सतर्कता
बांग्लादेश के कार्यकारी प्रमुख मुहम्मद यूनुस द्वारा दिए गए हालिया बयानों और चीन की ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ के तहत बांग्लादेश में बढ़ती भागीदारी ने भारत की चिंता को बढ़ा दिया है। सुरक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि ढाका की बीजिंग से बढ़ती नजदीकी सिलीगुड़ी कॉरिडोर की सुरक्षा के लिहाज से चुनौतीपूर्ण हो सकती है। इसी संदर्भ में भारत ने क्षेत्र में अपने रक्षा ढांचे को और मज़बूत किया है। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने हाल ही में उत्तर बंगाल का दौरा कर सुरक्षा तैयारियों की समीक्षा की। उन्होंने अग्रिम चौकियों का निरीक्षण किया और सेना के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ सुरक्षा रणनीति पर विचार-विमर्श किया।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और भविष्य की तैयारी
2017 के डोकलाम गतिरोध के दौरान चीन द्वारा भूटान की सीमा में सड़क निर्माण की कोशिश को भारतीय सेना ने सफलतापूर्वक रोका था।
क्या है ‘चिकन नेक’?
यह पश्चिम बंगाल में स्थित एक संकरा गलियारा है, जो भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों को मुख्य भूमि से जोड़ता है। इसके चारों ओर नेपाल, भूटान, बांग्लादेश और चीन स्थित हैं, जिससे इसकी भौगोलिक और रणनीतिक संवेदनशीलता और बढ़ जाती है। इसकी चौड़ाई सबसे कम हिस्से में केवल 22 किलोमीटर है। यह पूर्वोत्तर के आठ राज्यों- अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, सिक्कि म और त्रिपुरा-को शेष भारत से जोड़ता है। नेपाल, बांग्लादेश, भूटान और चीन से घिरा यह क्षेत्र अपनी सामरिक स्थिति के कारण बेहद संवेदनशील है। इसकी वजह से यह गलियारा भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए एक केंद्रीय भूमिका निभाता है।
जैसे-जैसे क्षेत्रीय समीकरण बदलते जा रहे हैं, भारत ‘चिकन नेक’ की सुरक्षा को लेकर किसी भी स्थिति से निपटने के लिए चौकस और पूरी तरह तैयार है। प्रधानमंत्री मोदी की थाइलैंड यात्रा इस कूटनीतिक पृष्ठभूमि में और अधिक महत्वपूर्ण हो गई है।