ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली।सुप्रीम कोर्ट ने क्रिप्टोकरेंसी पर नियामक ढांचे की मांग वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। अदालत ने कहा है कि वह इस संबंध में कानून नहीं बना सकती। क्रिप्टोकरेंसी एक डिजिटल या आभासी मुद्रा है जो क्रिप्टोग्राफी का इस्तेमाल कर सुरक्षित बनाई जाती है। इससे जालसाजी करना या दोबारा खर्च करना लगभग असंभव हो जाता है।
क्रिप्टोकरेंसी ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए विकेन्द्रीकृत नेटवर्क पर मौजूद हैं। यह कंप्यूटरों के एक असमान नेटवर्क पर संचालित और वितरित किया जाता जाता है।
यह याचिका न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आई। याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील ने दावा किया कि क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ी देश भर में कई शिकायतें दर्ज की गई हैं। वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता इस मुद्दे पर नियामक ढांचे के लिए केंद्र और अन्य को निर्देश देने की मांग कर रहे हैं, क्योंकि इसे विनियमित करने के लिए कोई कानून नहीं है। न्यायमूर्ति गवई ने पूछा, यह नीति निर्माताओं के अधिकार क्षेत्र में है। हम ऐसा कोई निर्देश कैसे जारी कर सकते हैं?