ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली।टैरिफ विवाद के बीच नफा और नुकसान का आकलन लगातार किया जा रहा है। सभी देश अपने-अपने हित को लेकर सजग हैं। 9वें कार्नेगी ग्लोबल टेक समिट में भी यह मुद्दा छाया रहा। कार्नेगी इंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस के वरिष्ठ शोधकर्ता एशले जे टेलिस का कहना है कि हाल के वर्षों में भारत की व्यापार नीति में बड़ा बदलाव आया है। इसे देखते हुए भारत को अमेरिका के साथ मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) करने की बड़ी सोच अपनानी चाहिए।
टेलिस ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के 90 दिनों के लिए टैरिफ (शुल्क) रोकने और भारत जैसे देशों पर पारस्परिक टैरिफ को 10 फीसदी तक कम करने के फैसले पर कहा कि 90 दिनों की यह रोक भारत के लिए अवसरों की अवधि है। उन्होंने कहा कि इससे दोनों देशों को स्थायी समाधान खोजने का मौका मिलेगा और वे व्यापारिक विवादों से आगे बढ़कर आपसी सहयोग के अन्य क्षेत्रों पर ध्यान दे पाएंगे। इसके साथ ही यह कदम बाजारों और व्यापारिक साझेदारों को आगे की रणनीति बनाने का वक्त भी देगा।
जीटीआरआई ने दी थी एफटीए से बचने की सलाह
टेलिस ने यह बात भारत को अमेरिका के साथ पूर्ण एफटीए से बचने की ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) की सलाह की प्रतिक्रिया में कही। टेलिस ने कहा कि भारत को दीर्घकालिक तौर से इस दिशा में आगे कदम बढ़ाना चाहिए। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी शुरुआत में एफटीए को लेकर संदेह में थे, लेकिन अब भारत समझ गया है कि आर्थिक विकास के लिए वैश्विक व्यापार संबंध मजबूत करना जरूरी है।
अमेरिका भारत के शीर्ष व्यापारिक साझेदारों में से एक है, इसलिए एफटीए को एक लक्ष्य के तौर पर देखना चाहिए, भले ही इसमें वक्त लगे। उन्होंने कहा भारत को औद्योगिक वस्तुओं पर 90 फीसदी शून्य-से-शून्य टैरिफ समझौते पर विचार करना चाहिए। टेलिस ने कहा कि भारत, अमेरिका और यूरोप जैसे दोस्त देशों को ऐसे कर-मुक्त समझौते करने चाहिए, खासकर जब आज वैश्विक सप्लाई चेन इतनी जुड़ी हुई है।