ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। वक्फ संशोधन कानून पर सुप्रीम कोर्ट में लगातार सुनवाई चल रही है। इसी कड़ी में अदालत ने एक अहम फैसला सुनाया। इस फैसले की कड़ी राज्य वक्फ बोर्ड में सदस्यों की नियुक्ति से जुड़ी हुई है।
दरअसल, वक्फ संशोधन कानून का मुल्क भर में मुस्लिम समुदाय विरोध कर रहा है। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर हाई कोर्ट के एक फैसले को खारिज करते हुए एक नया फैसला दिया है, जिसके मुताबिक अगर कोई वकील राज्य बार काउंसिल में किसी पद पर नहीं होगा, तो वह राज्य वक्फ बोर्ड का सदस्य नहीं बन सकता।
इस मामले पर जस्टिस राजेश बिंदल की पीठ ने सुनवाई की है। इस फैसले के मुताबिक अगर कोई सदस्य राज्य बार काउंसिल में जब तक रहेगा, तभी तक राज्य वक्फ बोर्ड के किसी पद पर रह सकता है।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर हाई कोर्ट की एक खंड पीठ के फैसले को खारिज करते हुए कहा कि वक्फ बोर्ड का सदस्य बनने के लिए दो शर्ते हैं, पहली शर्त यह है कि उम्मीदवार मुस्लिम धर्म का होना चाहिए, और दूसरी शर्त यह है कि वह व्यक्ति राज्य विधानसभा का मेंबर या बार काउंसिल का मेंबर होना चाहिए। यदि कोई व्यक्ति दो शर्तों में से कम से कम एक को पूरा नहीं कर पाता है तो वह वक्फ बोर्ड का मेंबर नहीं बन सकता है।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में विपक्ष के कई नेताओं ने इस कानून के खिलाफ याचिकाए दायर की हैं जिन पर पहली सुनवाई 17 अप्रैल को हुई थी। सरकार ने इस सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट देकर यह अश्वासन दिया कि अगली सुनवाई तक इस कानून का कोई भी कन्ट्रोवर्शियल प्रावधान लागू नहीं किया जाएगा। इस पर अगली सुनवाई 5 मई को होनी है।