दीपक द्विवेदी
पहलगाम में गत 22 अप्रैल को हुए निर्मम आतंकी हमले का जवाब भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के जरिये दिया। इसके तहत भारत ने आतंकियों के 9 ठिकानों को ध्वस्त कर दिया। इसके बाद पाकिस्तान के हमले के जवाब में की गई सटीक भारतीय कार्रवाई ने पाकिस्तान को घुटने के बल ला दिया पर शायद इतना पर्याप्त नहीं था इसलिए भारत ने पाकिस्तान को बेनकाब करने और अपनी सुरक्षा चिंताओं और आतंकवाद को लेकर उसकी बदली रणनीति से वाकिफ कराने के लिए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल विश्व के अलग-अलग हिस्सों में भेजे ताकि पाकिस्तान के झूठ का पर्दाफाश किया जा सके। ये सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल इस समय विभिन्न देशों की यात्रा पर हैं। इनका मकसद आतंकवाद के खिलाफ भारत के ‘न्यू नॉर्मल’ के सिद्धांत से दुनिया को अवगत कराना है ताकि पाकिस्तान को कोई भी प्रोपेगैंडा करने का मौका न मिल सके।
वैश्विक कूटनीति की बात करें तो इसमें प्रयुक्त किए गए हर शब्द के विशिष्ट मायने होते हैं। इसलिए यह बात महत्वपूर्ण हो जाती है कि हम कैसे विश्व के समक्ष अपनी बात रख पाते हैं। इस सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में जिन सदस्यों का चयन सरकार ने किया है, वे सब भारत की बात को सटीक शब्दों में रखने में समर्थ हैं। भारतीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्य जिस तरह से दुनिया के हर कोने में पाकिस्तान और आतंकवाद के समर्थकों को बेनकाब कर रहे हैं; वह अत्यंत प्रभावी एवं उल्लेखनीय है। भारतीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने पाकिस्तान का यह फ्रॉड अत्यंत सहजता के साथ दुनिया के सामने उजागर कर दिया है कि किस तरह से पाकिस्तान 2019 की चीन के युद्धाभ्यास की तस्वीर को दिखा कर अपनी तथाकथित जीत का दिखावा कर रहा है।
बहरीन में जहां सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने पाकिस्तान की पोल खोली, वहीं अमेरिका गए प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे कांग्रेस नेता शशि थरूर ने नपे-तुले अंदाज में अमेरिका को आईना दिखाने का काम किया। आज विश्व को यह संदेश देना आवश्यक हो गया है कि भारत अब पाकिस्तान पोषित-प्रायोजित आतंकवाद को सहन करने वाला नहीं है क्योंकि पानी सिर के ऊपर से गुजरने लगा है। शशि थरूर ने न्यूयार्क में यही किया। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि पाकिस्तानी सेना का संरक्षण पाने वाले आतंकियों को भारतीयों की जान लेने की बड़ी कीमत चुकानी होगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत ने पाकिस्तान से संबंध सुधारने के लिए जो भी संभव था, वह किया, लेकिन वह सुधरने के लिए तैयार नहीं है। विश्व के प्रमुख राष्ट्रों और विशेष रूप से अमेरिका को यह बताना आवश्यक है कि यदि वह सब कुछ जानते हुए भी आतंक को संरक्षण देने वाले पाकिस्तान के खिलाफ कुछ नहीं करता और भारत भविष्य में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसी कोई कठोर कार्रवाई करता है तो इसके लिए वह भी जिम्मेदार होगा।
इसके अतिरिक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हाल ही में अपने गुजरात दौरे में पाकिस्तान, वहां की जनता एवं युवाओं को चेताया कि वह आतंकवाद के समर्थन में न खड़े हों और उससे छुटकारा पाकर विकास की राह पर चलें। अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो आतंकवाद और उसके समर्थकों के लिए भारत के पास सिर्फ गोलियां ही हैं और यह बात पाकिस्तान को अभी ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से भी समझ आ ही गई होगी, ऐसा विश्वास किया जाना चाहिए। अगर पाकिस्तान यह बात नहीं समझता है तो फिर उसका खंड-खंड होना कोई रोक नहीं सकता।
वैसे वैश्विक पटल पर भी चंद देशों को छोड़ किसी और से पाकिस्तान को समर्थन नहीं मिल रहा है। इस्लामिक देश ईरान ने भी पाकिस्तान को जोरदार झटका दिया है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ चार देशों के दौरे के दौरान तेहरान पहुंचे थे। शहबाज शरीफ के आने को लेकर ईरान की तरफ से जो स्टेटमेंट जारी किया गया, उसमें कहीं भी भारत का जिक्र नहीं किया गया। यह पाकिस्तान के लिए बहुत बड़ा झटका माना जा रहा है। तेहरान में जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और ईरान के राष्ट्रपति डॉ. मसूद पेजेशकियन की ज्वाइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस हो रही थी, उस दौरान शहबाज शरीफ भारत के साथ पानी, कारोबार और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई पर बातचीत करने के लिए गुहार लगाते नजर आए। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने कहा कि हम शांति के लिए पानी के मुद्दे, कारोबार को बढ़ाने और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भी बातचीत करने के लिए तैयार हैं। इसके अलावा शहबाज शरीफ की यात्रा को लेकर ईरान की तरफ से जारी प्रेस रिलीज में यह भी कहा गया है कि पाकिस्तान चाहता था कि कश्मीर और भारत का जिक्र किया जाए लेकिन ईरान इसके लिए तैयार नहीं हुआ। ईरान के नेता ने शहबाज शरीफ को यह भी नसीहत दी कि वह अपनी धरती से सीमा पार आतंकवाद फैलाने की साजिशों पर काबू करें।
बहरहाल ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद पहलगाम में आतंकी हमले की भयावहता और आतंकी संगठनों को पोषण करने वाले एवं उनके साथ निर्लज्जता से खड़े होने वाले पाकिस्तान की असलियत बताने गए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्य विभिन्न देशों में जिस तेवर के साथ तथ्यों को रख रहे हैं, निश्चित रूप से उससे भारत के हित में सकारात्मक परिणाम ही निकलेंगे; इसमें कोई संशय नहीं दिखता।































