ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। देश-दुनिया में युद्ध के तौर-तरीके बदल रहे हैं। कुछ दशक पहले तक आर्मी यानी थलसेना का महत्व एयरफोर्स और नेवी से ज्यादा था। अब 21वीं सदी में एयरफोर्स और नेवी की भूमिका काफी बढ़ चुकी है। पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद भारत की ओर से लॉन्च ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में यह बात साबित भी हो गई।
आर्मी ने जहां बॉर्डर पर मोर्चा संभाल रखा था तो वहीं वायुसेना ने पीओके और पाकिस्तान में सैकड़ों किलोमीटर अंदर तक घुसकर आतंकवादियों के शिविरों और मिलिट्री एयरबेस को धुआं-धुआं कर दिया। एयरफोर्स के इस हमले की सटीकता और प्रचंडता इतनी ज्यादा थी कि शहबाज शरीफ और आसिम मुनीर की सेना कुछ ही घंटों में घुटनों पर आ गई। इसके बाद सीजफायर पर सहमति बनी। दूसरी तरफ, नेवी ने अरब सागर में मोर्चा संभाल रखा था। इशारा मिलते ही भारतीय नौसेना पाकिस्तान की धड़कन यानी कराची को पलभर में तबाह कर देती। हालांकि, इसकी जरूरत नहीं पड़ी और दुश्मन पहले ही मुंह के बल गिर पड़ा। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में एयरफोर्स के महत्व को देखकर उसे मॉडर्न एज के अनुसार अपग्रेड करने की जरूरत महसूस हुई।
दरअसल, सोवियत काल के मिग-21, मिग-27 और जगुआर जैसे फाइटर जेट को अब चरणबद्ध तरीके से हटाने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। ऐसे में भारत को नए फाइटर जेट का विशाल बेड़ा बनाना बहुत जरूरी है। बता दें कि देश की सीमा पश्चिम में पाकिस्तान के साथ ही उत्तर और पूरब में चीन और बांग्लादेश जैसे पड़ोसियों से लगती है।
ऐसे में आर्म्ड फोर्सेज को हर तरीके से दुरुस्त रखना समय की मांग और आवश्यकता दोनों है। एक तरफ भारत दूसरे देशों से फाइटर जेट की खरीद भी कर रहा है तो दूसरी तरफ स्वदेशी तकनीक के जरिये देश में ही फाइटर जेट डेवलप करने की प्रोसेस भी जारी है। तमाम तरह की बाधाओं को दूर करते हुए हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने घरेलू स्तर पर कटिंग एज फाइटर जेट बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है।
तेजस एमके-1ए फाइटर जेट में माडर्न रडार सिस्टम इंस्टॉल किया गया है।
इंडियन एयरफोर्स की डिमांड
इंडियन एयरफोर्स ने फरवरी 2021 में एचएएल को 83 तेजस एमके-1ए फाइटर जेट के लिए ₹48,000 करोड़ का ठेका दिया था। मार्च 2024 से लड़ाकू विमानों की आपूर्ति शुरू होनी थी, लेकिन इंजन की तकनीक न मिलने की वजह से इसमें लगातार देरी होती गई। पिछले दिनों एयरफोर्स चीफ एयर मार्शल अमरप्रीत सिंह ने सार्वजनिक तौर पर एचएएल की तरफ से तेजस एमके-1A की डिलिवरी में देरी पर गहरी नाराजगी जताई थी। दरअसल, इस फाइटर जेट के लिए जरूरी एफ404 इंजन की सप्लाई अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्टि्रक एयरोस्पेस (जीई एयरोस्पेस) की ओर से समय पर नहीं की जा सकी। इस वजह से तेजस एमके-1ए फाइटर जेट की डिलिवरी में देरी होती गई।































