संजय द्विवेदी
लखनऊ। प्रदेश के लघु और सीमांत किसानों को खेती और कृषि आधारित कार्यों के लिए सस्ता कर्ज उपलब्ध करवाने की तैयारी उप्र सरकार ने कर ली है। सहकारिता विभाग अपने बैंकों के जरिए इस कार्ययोजना को अमलीजामा पहनाएगा। इसके लिए सीएम कृषक समृद्धि योजना का खाका तैयार किया गया है। योजना के तहत किसानों को 6 लाख रुपये तक का कर्ज 6 फीसदी ब्याज पर देने का प्रस्ताव है।
यूपी में करीब 2.86 करोड़ किसान हैं। इसमें 78 फीसदी सीमांत और और लगभग 14 फीसदी छोटे किसान हैं। सीमांत किसान वे होते हैं, जिनके पास 1 हेक्टेअर से कम जमीन है। छोटे किसानों में उनकी गिनती होती है, जिनके पास 1 से 2 हेक्टेअर के बीच जमीन है। सरकार का फोकस इन किसानों की आर्थिक समृद्धि पर है क्योंकि कुल किसानों में 92 फीसदी भागीदारी इनकी ही है।
छोटी जोत होने के चलते परंपरागत खेती से न इनकी जरूरतें पूरी हो पाती हैं और न ही जीवन स्तर में अपेक्षित सुधार हो पाता है। इसलिए कृषि का विविधीकरण और कृषि आधारित अन्य उद्योगों में इनको शिफ्ट किए जाने की जरूरत महसूस हो रही है। इसके लिए आर्थिक संसाधन जरूरी हैं। नए कार्यों के लिए किसान साहूकारों के शोषण का शिकार न हों, इसके लिए सहकारिता विभाग ने वित्त पोषण की प्रक्रिया को सीएम कृषक समृद्धि योजना के जरिए और सहज बनाने की कवायद शुरू की है।
दीर्घकालीन कर्ज पर फोकस
किसानों के लिए 3 फीसदी ब्याज पर अल्पकालीन कर्ज दिए जाने की योजना सहकारिता विभाग सहकारी ग्रामीण बैंकों के जरिए पहले से ही चला रहा है। इसमें केंद्र सरकार 3 फीसदी और राज्य सरकार 4.70 फीसदी ब्याज पर सब्सिडी उपलब्ध करवाती है। इन लोन की अवधि सामान्यत: महज एक साल होती है।
सहकारिता विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि अभी तक बैंक के पास किसानों के लिए दीर्घकालीन कर्ज की कोई योजना नहीं है। अल्पकालीन कर्ज से स्थायी प्रॉजेक्ट शुरू करने में समस्या होती है क्योंकि किसानों पर कर्ज जल्द चुकाने का दबाव होता है। दीर्घकालीन लोन की धनराशि भी अधिक होती है और चुकाने की समयावधि भी। इससे किसानों के पास ज्यादा बेहतर अवसर होगा। इससे उनकी आय भी बढ़ेगी और आत्मनिर्भरता का लक्ष्य भी हासिल हो सकेगा। आर्थिक गतिविधियां बढ़ने से दूसरों के लिए भी रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। योजना पर उच्च स्तर से सहमति बन गई है। जल्द ही इसकी प्रक्रिया तय करने के बाद इसे जमीन पर उतारा जाएगा।