ब्लिट्ज ब्यूरो
जबलपुर। मध्य प्रदेश में जबलपुर हाईकोर्ट ने एक मामले में हाल ही में ऐसी सजा सुनाई है, जिसके बारे में जानकर हर कोई उसकी तारीफ कर रहा है। दरअसल कोर्ट ने सतना जिले के थाना प्रभारी को दुष्कर्म के एक मामले में अनदेखी कर नोटिस तामील न करने को लेकर यह अनोखी सजा सुनाई है। इस दौरान कोर्ट ने थाना प्रभारी को 1 जुलाई से 31 अगस्त 2025 के बीच खुद की आय से आम, अमरूद, जामुन, महुआ जैसे इसी श्रेणी के 1 हजार फलदार पौधे चित्रकूट में लगाने और खुद ही उसकी देखभाल करने की सजा दी है।
सतना जिले के कोतवाली थाना प्रभारी रविन्द्र द्विवेदी को फलदार पौधे लगाने की यह सजा जबलपुर उच्च न्यायालय के जस्टिस विवेक अग्रवाल और जस्टिस अवनींद्र कुमार सिंह की बेंच ने सुनाई। इसके साथ ही कोर्ट ने टीआई को पौधों की फोटो और जीपीएस लोकेशन के साथ एक रिपोर्ट भी कोर्ट में जमा करने के लिए कहा है। साथ ही कोर्ट ने अगले एक साल तक पौधों की देखभाल करने का निर्देश भी थाना प्रभारी को दिया है। कोर्ट ने सतना पुलिस अधीक्षक को इस पूरी प्रक्रिया का निरीक्षण कर तय तारीख पर रिपोर्ट पेश करने के लिए भी कहा है। मामले की अगली सुनवाई करीब तीन महीने बाद 16 सितंबर को होगी।
मामला कुछ यूं है कि एक नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में साल 2021 में जिला कोर्ट ने आरोपी राम अवतार चौधरी को सजा सुनाई थी। आरोपी ने इस सजा के खिलाफ जबलपुर हाइकोर्ट में अपील दायर की थी जिस पर न्यायालय ने 30 सितंबर 2024 को पीड़िता को नोटिस जारी किया था और पुलिस को नोटिस की तामील कराने के लिए कहा था लेकिन थाना प्रभारी द्वारा समय पर इस नोटिस को तामील नहीं कराया गया। इसके बाद न्यायालय ने इसे गंभीर लापरवाही मानते हुए नाराजगी जताई और थाना प्रभारी को यह अनोखी सजा दी।
मामले की सुनवाई के दौरान थाना प्रभारी रविंद्र त्रिवेदी ने हाई कोर्ट में अपनी गलती स्वीकार की और माफी मांगते हुए कोर्ट द्वारा सुनाई गई सजा के साथ ही पुलिस महानिरीक्षक द्वारा लगाए गए 5 हजार रुपए के जुर्माने को भरने के लिए भी खुद को तैयार बताया।































