ब्लिट्ज ब्यूरो
लखनऊ। आईआईटी-कानपुर के एक अभियान से पता चला है कि उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा प्रदूषण आजमगढ़ में है। 2024 में यहां पीएम 2.5 का स्तर सबसे ज्यादा, 202.1 दर्ज किया गया। अमृत नाम के इस अभियान का मकसद गांवों में हवा की गुणवत्ता को मापना है। आईआई-कानपुर का सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस – एडवांस्ड टेक्नोलॉजीज फॉर मॉनिटरिंग एयर-क्वालिटी इंडिकेटर्स इसे चला रहा है। यह अभियान गांवों में हवा की गुणवत्ता के बारे में सही जानकारी देने में मदद करता है। गांवों में भारत की बड़ी आबादी रहती है, इसलिए वहां की हवा की जानकारी होना जरूरी है। आईआईटी-के की रिपोर्ट बताती है कि आजमगढ़ के बाद भदोही और शामली में सबसे ज्यादा प्रदूषण है।
2024 में भदोही में पीएम 2.5 का स्तर 168.7 और शामली में 122.9 दर्ज किया गया। अमृत प्रोजेक्ट के तहत पूरे राज्य में 826 सेंसर लगाए गए हैं। इससे गांवों और शहरों दोनों जगह की हवा की गुणवत्ता की जानकारी मिल सकेगी। इस प्रोजेक्ट में कम लागत वाली तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। इससे सही समय पर जानकारी मिल सकेगी और अधिकारी प्रदूषण को कम करने के लिए कदम उठा सकेंगे।
इस प्रोजेक्ट के हेड, प्रो. एसएन त्रिपाठी ने कहा कि हवा की गुणवत्ता के आंकड़ों से पता चलता है कि पीएम 2.5 का स्तर मौसम के हिसाब से बदलता रहता है। सर्दियों में, खासकर नवंबर और दिसंबर में प्रदूषण का स्तर सबसे ज्यादा होता है। उन्होंने कहा कि सर्दियों में तापमान कम होने और हवा के स्थिर रहने के कारण प्रदूषण का असर बढ़ जाता है। प्रो. त्रिपाठी ने कहा, प्रोजेक्ट के सेंसर नेटवर्क से पता चलता है कि हवा की गुणवत्ता में कितना बदलाव हो रहा है। इससे सही जानकारी के आधार पर फैसले लेने में मदद मिलेगी और हवा की गुणवत्ता को बेहतर बनाया जा सकेगा। प्रोजेक्ट का मजबूत सेंसर नेटवर्क बारीक विश्लेषण को संभव बनाता है, जिससे टिकाऊ वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए प्रमाण-आधारित निर्णय लेने में मदद मिलती है। इस प्रोजेक्ट से गांवों में प्रदूषण के कारणों का पता लगाने और उन्हें दूर करने में मदद मिलेगी। इससे लोगों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाया जा सकेगा। सरकार और स्थानीय अधिकारी मिलकर काम करके हवा की गुणवत्ता को सुधारने के लिए कदम उठा सकते हैं।































