ब्लिट्ज ब्यूरो
लंदन। भारत और ब्रिटेन ने एक ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर हस्ताक्षर किए हैं। इससे द्विपक्षीय व्यापार में लगभग 34 अरब अमेरिकी डॉलर की वृद्धि होने की उम्मीद है। प्रधानमंत्री मोदी और ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टारमर की उपस्थिति में इस समझौते को औपचारिक रूप दिया गया। इस एफटीए से भारतीय निर्यात के 99 प्रतिशत हिस्से को टैरिफ में छूट मिलेगी। इससे व्यापारियों समेत आम लोगों को बड़े फायदे होंगे। इसी के साथ बाजार पहुंच नई ऊंचाई को छुएगा।
भारत-ब्रिटेन में मुक्त व्यापार समझौता 2030 तक दोनों अर्थव्यवस्थाओं के बीच व्यापार को दोगुना करके 120 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचाने में भी मदद करेगा।
दोनों देशों को होगा फायदा
भारत-ब्रिटेन में डील होने के बाद चमड़ा, जूते, ऑटोपार्ट्स, सीफूड, खिलौने और कपड़ों का रियायती दरों पर निर्यात संभव होगा, जिससे ये चीजें ब्रिटेन के लोगों को सस्ती मिलेंगी। इसके साथ ही ब्रिटेन से आने वाले सामानों पर भी आयात सस्ता होगा, जिससे भारतीयों को सस्ते में सामान मिलेगा। इन चीजों में शामिल हैं- व्हिस्की, चॉकलेट, बिस्किट, सालमन फिश, कॉस्मेटिक सामान, मेडिकल उत्पाद, लग्जरी कारें।
अधिकारियों के अनुसार, एफटीए से ब्रिटिश कंपनियों के लिए कई उत्पादों का निर्यात आसान हो जाएगा, साथ ही समग्र व्यापार को भी बढ़ावा मिलेगा। उल्लेखनीय है कि समझौते पर हस्ताक्षर होने के बाद, अब इसे प्रभावी होने से पहले ब्रिटिश संसद से अनुमोदन की आवश्यकता होगी। इस प्रक्रिया में लगभग एक वर्ष का समय लग सकता है।
ब्रिटेन के पीएम स्टारमर ने कहा कि इस समझौते से दोनों देशों को भारी लाभ होगा, वेतन में वृद्धि होगी और जीवन स्तर में सुधार होगा।
मालदीव के स्वतंत्रता दिवस समारोह में मुख्य अतिथि होंगे पीएम मोदी
बि्रटेन के बाद प्रधानमंत्री मोदी मालदीव की यात्रा पर जा रहे हैं। वह मुइज्जू के कार्यकाल में राजकीय यात्रा पर आने वाले पहले विदेशी नेता होंगे। 26 जुलाई को पीएम मोदी मालदीव के स्वतंत्रता दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर शिरकत करेंगे, इसके लिए खुद मुइज्जू ने उन्हें आमंत्रित किया है। ये वही मुइज्जू हैं जिन्होंने कभी ‘इंडिया आउट’ का नारा दिया था मगर भारत ने अपनी कूटनीति की बदौलत मालदीव को फिर से अपनी सामरिक परिधि में वापस लाने में सफलता पा ली है।
पीएम मोदी की मालदीव यात्रा 25-26 जुलाई को तय है। यहां वे राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के साथ बातचीत करेंगे और भारत द्वारा समर्थित कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन करेंगे। मालदीव भारत की ‘पड़ोसी प्रथम नीति’ और ‘महासागर विजन’ का अहम हिस्सा है, जो क्षेत्रीय सुरक्षा और विकास पर केंद्रित है। पिछले साल दोनों देशों ने ‘व्यापक आर्थिक और समुद्री सुरक्षा साझेदारी’ के लिए एक संयुक्त दृष्टिकोण बनाया था, जो उनके रिश्तों का आधार बन गया। यह यात्रा भारत के लिए व्यापार, शिक्षा, प्रौद्योगिकी और क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ाने का एक बड़ा अवसर है। यह दौरा न सिर्फ भारत की वैश्विक रणनीतिक स्थिति को और मजबूत करेगा बल्कि खासतौर से मालदीव में एक ऐसा कूटनीतिक संदेश देगा जिसे ‘मिशन मालदीव’ के नाम से याद किया जाएगा। इससे चीन को भी यह संदेश जाएगा कि दक्षिण एशिया में भारत की कूटनीति अब भी प्रभावी और निर्णायक है।































