ब्लिट्ज ब्यूरो
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में एक बार फिर बड़ी रेल परियोजना की तैयारी चल रही है। इस बार मामला एक नई रेल लाइन बिछाने से जुड़ा है जिसके चलते जल्द ही राज्य के कई गांवों की 908 बीघा जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा।
रेलवे विभाग ने इसके लिए आवश्यक तैयारी शुरू कर दी है और जमीनी मुआयना भी किया जा चुका है। इस योजना से जहां क्षेत्रीय यातायात को रफ्तार मिलेगी, वहीं गांवों के लोगों को भी रोजगार और बेहतर कनेक्टिविटी जैसे फायदे होंगे।
नई रेलवे लाइन कहां बिछेगी
रेलवे विभाग की इस नई योजना के तहत यह रेल लाइन उत्तर प्रदेश के कानपुर, फतेहपुर और प्रतापगढ़ जिलों से होकर गुजरेगी। खास तौर से इसके लिए जो जमीन अधिग्रहित की जा रही है, वह कानपुर देहात के रसूलाबाद ब्लॉक, और फतेहपुर जिले के कुछ गांवों से ली जाएगी। यह रेल लाइन ‘कानपुर–प्रतापगढ़ डबल लाइन विस्तार’ परियोजना का हिस्सा होगी जिससे ट्रेनों की आवाजाही तेज और सुविधाजनक हो सकेगी।
किसानों को मिलेंगे उचित दाम
इस प्रोजेक्ट के लिए कुल 908 बीघा जमीन का अधिग्रहण किया जाना प्रस्तावित है। यह जमीन अलग-अलग गांवों में फैली हुई है। क्षेत्रीय प्रशासन और रेलवे मिलकर इसकी मैपिंग कर चुके हैं। गांवों में जाकर अधिकारियों ने सीमांकन भी शुरू कर दिया है। जिन किसानों की जमीन ली जाएगी उन्हें उचित बाजार मूल्य पर मुआवजा देने की योजना है।
कौन-कौन से गांव होंगे प्रभावित
इस परियोजना से जिन गांवों की जमीन प्रभावित होगी उनमें प्रमुख हैं – रसूलाबाद, गौरी, अजगैन, टांडा, दुर्गापुर, बक्सरिया, औंध, बेलमई आदि। इन गांवों में अधिकांश े खेतिहर जमीन है। सरकार का प्रयास है कि अधिग्रहण के दौरान किसानों को ज्यादा से ज्यादा लाभ दिया जाए और पुनर्वास की व्यवस्था भी की जाए।
कब तक शुरू होगा काम
रेलवे अधिकारियों के अनुसार जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी होने के बाद निर्माण प्रगति में आएगा। यदि सब कुछ योजना के अनुसार चलता है तो यह नई रेल लाइन 2028 तक तैयार हो जाएगी। यह ट्रेन रूट भारतीय रेलवे के लिए एक नया हाई-स्पीड कनेक्टिविटी कॉरिडोर साबित होगा।
क्या होगा फायदा
इस नई रेल लाइन से कानपुर से प्रयागराज तक की दूरी घटेगी और समय की बचत होगी। वहीं मालगाड़ियों की आवाजाही में भी सुविधा मिलेगी जिससे क्षेत्र में औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिल सकता है।
इसके अलावा छोटे स्टेशनों पर नए रोजगार, टिकट रिजर्वेशन सेंटर और माल ढुलाई से जुड़े बिजनेस के नए अवसर बनेंगे।
मुआवजा और किसानों की उम्मीदें
किसान चाहते हैं कि उन्हें उनकी जमीन का सही दाम मिले। जहां पहले जमीन की कीमत ₹10 से ₹12 लाख प्रति बीघा थी, अब अधिग्रहण के चलते यह दर बढ़कर ₹25 से ₹30 लाख तक पहुंच सकती है। इसके अलावा पुनर्वास, नौकरी व विशेष राहत पैकेज की मांग भी तेज हो गई है।
प्रशासन की तैयारी
स्थानीय प्रशासन और राजस्व विभाग ने किसानों से बातचीत शुरू कर दी है। भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 के तहत पूरा मुआवजा तय किया जाएगा। किसानों की आपत्तियों को सुनने और निपटाने के लिए कैंप लगाए जा रहे हैं। अधिकारियों ने भरोसा दिलाया है कि बिना सहमति के कोई भी प्रक्रिया नहीं की जाएगी।





























