ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। शुभांशु शुक्ला के अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर पहुंचने वाले पहले भारतीय बनने के लगभग एक महीने बाद भारत ने इस महीने की शुरुआत में अपनी तरह के पहले अभियान में दो यात्रियों को समुद्र में 5,000 मीटर गहराई तक भेजा। भारत के महत्वाकांक्षी डीप ओशन मिशन (समुद्रयान) की तैयारी के तहत फ्रांस के साथ साझेदारी में दो भारतीय जलयात्रियों ने विगत सप्ताह फ्रांसीसी पनडुब्बी नॉटाइल में उत्तरी अटलांटिक महासागर में एक-एक गहरा गोता सफलतापूर्वक पूरा किया।
राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान के वैज्ञानिक राजू 4,025 मीटर नीचे गए। इसके अगले दिन सेवानिवृत्त भारतीय नौसेना कमांडर जतिंदर पाल सिंह ने 5,002 मीटर गहरा गोता लगाया। केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा, एक तरफ भारतीय अंतरिक्ष और दूसरी ओर गहरे समुद्र में जा रहे हैं। भारत की दोहरी विजय की चाहत पहले ही शुरू हो चुकी है। यह भारत की आर्थिक विकास गाथा में उन दो क्षेत्रों के मूल्यवर्धन की शुरुआत होगी, जो 7-8 दशकों में अपेक्षाकृत कम खोजे गए या पूरी तरह से अनछुए रहे हैं। उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डीप ओशन मिशन और नीली अर्थव्यवस्था में इतनी गहरी रुचि ली है कि 2022 और 2023 के स्वतंत्रता दिवस भाषण में इस बारे में बात की। सिंह ने कहा, एक भारतीय अंतरिक्ष में जा सकता है और एक या अधिक भारतीय स्वदेशी पनडुब्बी की मदद से गहरे समुद्र में जा सकते हैं।
मत्स्य 6000 के प्रयोग से पहले अभ्यास
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय में सचिव एम रविचंद्रन ने कहा, यह अभियान भारत के गहरे महासागर मिशन के हिस्से के रूप में आयोजित किया गया था। डीओएम के कार्यक्षेत्रों में से एक का लक्ष्य निर्जीव समुद्री संसाधनों का उपयोग करने के लिए प्रौद्योगिकी विकसित करना और एक पनडुब्बी विकसित करना है, जो मनुष्यों को अन्वेषण के लिए समुद्र के सबसे गहरे हिस्सों में ले जा सके। अपनी पनडुब्बी में ऐसा करने से पहले प्रत्यक्ष अनुभव पाने के लिए 5 सदस्यीय एनआईओटी टीम ने इंडो-फ्रेंच अनुसंधान सहयोग के तहत फ्रांसीसी पनडुब्बी नॉटाइल में गहरे गोता लगाने में भाग लिया। भारत स्वदेशी मत्स्य 6000 पनडुब्बी में गहरा गोता लगाने से पहले उसी पनडुब्बी में कई और गोते लगाएगा, जो दिसंबर 2027 के आसपास हो सकता है।
3 लोगों को 6 हजार मीटर की
गहराई तक ले जा सकेगा
2021 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने डीप ओशन मिशन को अनुमोदित किया था। इसे पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय कार्यान्वित कर रहा। इसमें चालक दल और चालक दल रहित पनडुब्बियों, गहरे समुद्र में खनन तकनीकों, समुद्री जलवायु सेवाओं, जैव विविधता अनुसंधान और समुद्र से ऊर्जा के विकास को शामिल किया गया है। इसका उद्देश्य भारत के विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र और महाद्वीपीय शेल्फ से संसाधनों का दोहन करना है। मत्स्य 6000 को 2.1 मीटर व्यास वाले टाइटेनियम मिश्र धातु के गोले में 3 लोगों को 6,000 मीटर की गहराई तक ले जाने के लिए डिजाइन किया गया है। यह वैज्ञानिक सेंसर, डाटा और ध्वनि संचार प्रणालियों और सुरक्षा उप-प्रणालियों से लैस है। इनकी आपातकालीन क्षमता 96 घंटे तक है। भारत के मानवयुक्त गहरे समुद्र मिशनों को अंजाम देने की क्षमता रखने वाले केवल 6 देशों के समूह में शामिल होने की उम्मीद है।