ब्लिट्ज ब्यूरो
लखनऊ। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से एक्सपोर्ट होने वाली चीजों पर 50% टैरिफ लगाया है। इस फैसले से कई उद्योगों पर असर पड़ सकता है, लेकिन लखनऊ की चिकनकारी इंडस्ट्री पहले की तरह चकाचक रहेगी। कारोबारियों का कहना है कि चिकन के कपड़ों की ज्यादातर सप्लाई गल्फ, अफ्रीका और दक्षिण एशिया में होती है। अमेरिका में लखनवी चिकन के कपड़ों की एक फीसदी भी सप्लाई नहीं होती।
लखनऊ चिकनकारी हैंडीक्राफ्ट
एसोसिएशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुरेश छबलानी ने कहा कि टैरिफ बढ़ने के बाद अमेरिका में चिकनकारी उत्पाद करीब 50% महंगे हो जाएंगे। इससे मांग में थोड़ी गिरावट आ सकती है, लेकिन लखनऊ की चिकनकारी का कोई वैश्विक विकल्प नहीं है। यहां चिकन का जैसा काम होता है, वैसा कहीं और संभव नहीं।
दूसरे बाजार कर देंगे भरपाई
अदा चिकनकारी के प्रमुख व एसोसिएशन के उपाध्यक्ष विनोद पंजाबी ने बताया कि भारत से सालाना लगभग 3000 करोड़ के चिकन के कपड़े एक्सपोर्ट होते हैं।
इसमें से करीब 20 करोड़ की ही सप्लाई अमेरिका में होती है। अगर अमेरिका से डिमांड घटती भी है तो दूसरे बाजार इस नुकसान की भरपाई कर देंगे। हमारे पास मैक्सिको और ऑस्ट्रेलिया जैसे उभरते विकल्प भी हैं।
कोरोना में कम हो चुका है अमेरिका से व्यापार
चौक के चिकन व्यापारी अजय खन्ना का कहना है कि कोरोना काल में अमेरिका से हमारा व्यापार पहले ही कम हो चुका है। ऐसे में एक्सपोर्ट पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। इसके साथ रूस, मैक्सिको और अफ्रीकी देशों में नए बाजार भी बन रहे हैं।
गल्फ और दक्षिण एशियाई देश प्रमुख बाजार
फैशन डिजाइनर असमां हुसैन का कहना है कि चिकनकारी के प्रमुख बाजार अमेरिका के बजाय गल्फ और दक्षिण एशियाई देश है। अमेरिका में वैसे भी चिकनकारी के महंगे उत्पादों की मांग सीमित है। जो लोग हाई-एंड प्रॉडक्ट खरीदते हैं, वे भी भारत आकर ही खरीदारी करते हैं। ऐसी कुर्ती जैसी चीजें थोड़ी महंगी जरूर होंगी, लेकिन उनकी मांग बनी रहेगी।
अमेरिका में कैसे बढ़ेगी कीमत ?
चिकन के कपड़ों पर 5% जीएसटी लगता है। हस्तशिल्प को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार निर्यात शुल्क नहीं लगाती। अगर लखनऊ में एक कुर्ता 1000 रुपये में तैयार हुआ तो अमेरिका तक भेजने में जीएसटी, शिपिंग, बीमा समेत तमाम खर्च जोड़कर लागत 1200 पहुंच जाती है। पहले 20% बेसिक रुपये टैरिफ लगता था।
ऐसे में इंपोर्ट करने वाले कारोबारी को 1400 रुपये खर्च करने पड़ते थे। अब 50% अतिरिक्त टैरिफ लगने पर अमेरिका में इंपोर्ट करने वाले कारोबारी को एक कुर्ते के लिए 2,000 रुपये देने होंगे। इस तरह कुर्ते की कीमत 40 से 45% बढ़ जाएगी।