ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति को लेकर ब्रिक्स समूह की इमरजेंसी मीटिंग हुई। भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए विदेश मंत्री जयशंकर ने वैश्विक व्यापार को खुला रखने और इसमें रचनात्मक दृष्टिकोण अपनाने की वकालत की। ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डी सिल्वा की तरफ से बुलाई गई इस मीटिंग में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग, रूसी राष्ट्रपति पुतिन भी शामिल हुए। इन वैश्विक नेताओं के सामने अपनी बात करते हुए विदेश मंत्री ने मौजूदा वैश्विक स्थिति को चिंता का विषय बताते हुए संयुक्त राष्ट्र सहित प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं में बहुपक्षीय व्यवस्था में सुधार पर जोर दिया और उम्मीद जताई है कि ब्रिक्स सामूहिक रूप से इस बहुप्रतीक्षित बदलाव के लिए अपनी बात मजबूती से रखेगा।
पीएम मोदी की जगह पर ब्रिक्स की वर्चुअल मीटिंग में हिस्सा लेने वाले जयशंकर ने व्यापार के मोर्चे पर दुनिया में मची उथल-पुथल पर भी ध्यान केंद्रित करने की बात कही। उन्होंने कहा कि दुनिया को व्यापार को आगे बढ़ाने के लिए आपसी सहयोग और रचनात्मक दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है। इतना ही नहीं विदेश मंत्री ने दुनिया के अनेक हिस्सों में जारी संघर्षों के जल्द समाधान निकालने को भी समय की जरूरत बताया। उन्होंने ब्रिक्स के सदस्य देशों से यूक्रेन युद्ध और पश्चिम एशिया में जारी संघर्ष के ग्लोबल साउथ पर पड़ने वाले प्रभावों पर विचार करने और बहुपक्षवाद में सुधार का समर्थन करने का आग्रह किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि दुनिया के गैर व्यापारिक मामलों को व्यापार के मामलों से अलग रखना चाहिए। विदेश मंत्री ने कहा कि ट्रेड को जटिल बनाने से कोई फायदा नहीं होगा, हमें ट्रेड को आगे बढ़ाने की जरूरत है।
ट्रंप प्रशासन ने भारत और ब्राजील दोनों पर 50 फीसदी का टैरिफ लगाया है जो कि दुनिया में सबसे ज्यादा है। विदेश मंत्री ने अपने भाषण में मौजूदा वैश्विक स्थिति पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के विनाशकारी प्रभाव, यूक्रेन और पश्चिम एशिया में बड़े संघर्ष, व्यापार और जलवायु परिवर्तन के मुद्दे चिंता के विषय हैं। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों में दुनिया की व्यवस्था इन मुद्दों के सामने विफल होती नजर आ रही है। इन तनावपूर्ण और विनाशकारी मुद्दों का समाधान न होना चिंता का विषय है।
ट्रंप की प्रशासन की टैरिफ नीतियों का सीधे तौर पर जिक्र किए बिना जयशंकर ने कहा कि आज वैश्विक व्यापार पैटर्न और बाजार पहुंच सबसे बड़ा मुद्दा है। उन्होंने कहा, दुनिया को अगर टिकाऊ व्यापार प्रणाली को आगे बढ़ाना है तो हमें आपसी सहयोग की तरफ देखने की आवश्यकता है। व्यापार में परेशानी को बढ़ाने या इसे जटिल बनाने से लेन-देन में कोई मदद नहीं मिलने वाली।