ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट को कड़ी फटकार लगाई है। अदालत ने कहा कि हाईकोर्ट पिछले दो साल से बेल (जमानत) रद करने की याचिकाओं पर एक जैसे साइक्लोस्टाइल्ड यानी कॉपी-पेस्ट ऑर्डर पास कर रहा है। इन आदेशों में शिकायतकर्ताओं को बेल रद करने की बजाय गवाह संरक्षण योजना, 2018 के तहत सुरक्षा मांगने की सलाह दी जा रही थी।
जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने कहा, ‘हमने सिर्फ पिछले एक साल में ऐसे कम से कम 40 आदेश देखे हैं, जिनमें कानून की गलत व्याख्या की गई है।’ कोर्ट ने साफ किया कि गवाह संरक्षण योजना बेल रद करने का विकल्प नहीं है।
बेल की शर्तें तोड़ीं और गवाहों को धमकाया
यह मामला उस याचिका से जुड़ा था, जिसमें शिकायतकर्ता ने हत्या के केस के आरोपी की बेल रद करने की मांग की थी। आरोप था कि आरोपी ने बेल की शर्तें तोड़ीं और गवाहों को धमकाया। हाईकोर्ट ने बेल रद करने से इनकार कर शिकायतकर्ता को विटनेस प्रोटेक्शन स्कीम का सहारा लेने को कहा।
विटनेस प्रोटेक्शन स्कीम का कोई रोल नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब आरोपी गवाहों को धमकाए या सबूतों से छेड़छाड़ करे, तो बेल रद की जा सकती है। ऐसे मामलों में विटनेस प्रोटेक्शन स्कीम का कोई रोल नहीं है। अदालत ने हाईकोर्ट के आदेश को रद कर दिया और चार हफ्तों में मामले की दोबारा सुनवाई करने का निर्देश दिया। बेंच ने यह भी निर्देश दिया कि इस आदेश की प्रति सभी हाईकोर्ट्स को भेजी जाए, ताकि भविष्य में ऐसे कॉपी-पेस्ट आदेश न दिए जाएं।