ब्लिट्ज ब्यूरो
जयपुर। दिल्ली-मुंबई रेलमार्ग पर 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेनों के संचालन के लिए राजस्थान के हिस्से के ट्रैक को सेमी हाई स्पीड ट्रैक में तब्दील करने का कार्य पूरा हो गया है। राजस्थान के भरतपुर, करौली, सवाईमाधोपुर, बूंदी, कोटा, झालावाड़ जिले से ये ट्रैक गुजरता है। कोटा-मथुरा के बीच 324 किलोमीटर के रेलखंड में कवच संस्करण 4.0 कमीशन कर दिया गया है। अब मथुरा से कोटा तक 160 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से ट्रेनों का संचालन किया जा सकता है। पश्चिम मध्य और उत्तरी रेलवे के रेलखंडों में यह कार्य पूरा नहीं हो पाया है। दिल्ली-मुंबई के बीच शेष 1056 किमी ट्रैक को कवच 4.0 के कमीशन होने का इंतजार है।
मिशन रफ्तार की इस योजना के पूरा होने पर सात राज्यों की लाइफ की रफ्तार भी बढ़ जाएगी। सेमी हाई स्पीड ट्रेनें दौड़ेंगी तो सफर का अनुभव ही बदल जाएगा। निकट भविष्य में दिल्ली से मुंबई तक करीब 1380 किमी ट्रैक सेमी हाई स्पीड में तब्दील हो जाएगा।
7 राज्य होंगे लाभान्वित, यात्रा समय होगा कम
यह रेलमार्ग दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र से होकर गुजरता है। नई दिल्ली-मुंबई के बीच लगने वाले यात्रा समय में 3.5 घंटे की कमी आएगी। इससे यह पूरी तरह से रातभर की यात्रा बन जाएगी। आधुनिक कोचों के रैक का कोटा मंडल में 185 किमी प्रति घंटे की रफ्तार तक ट्रेन चलाने का परीक्षण हो चुका है।
दिल्ली-मुंबई तेजस राजधानी, हजरत निजामुद्दीन-त्रिवेन्द्रम राजधानी, गरीब रथ एक्सप्रेस, अगस्तक्रांति तेजस राजधानी, केरला संपर्क क्रांति, स्वराज एक्सप्रेस, स्वर्ण मंदिर मेल और पश्चिम एक्सप्रेस सहित कई ट्रेनें एक घंटे में 160 किलोमीटर की दूर तय करेंगी। इससे राजस्थान के कई स्टेशनों के यात्रियों को लाभ मिलेगा।
राजस्थान को मिलेगा हाई स्पीड का फायदा
कोटा, सवाईमाधोपुर जैसे पर्यटन स्थलों तक तेज पहुंच संभव होगी। दिल्ली-मुंबई के बीच माल ढुलाई की गति दोगुनी होगी, जिससे राजस्थान के औद्योगिक क्षेत्रों को फायदा मिलेगा।
भारतीय रेलवे हर साल सुरक्षा संबंधी गतिविधियों पर 1 लाख करोड़ रुपए से अधिक निवेश करता है।
रेलवे अगले 6 वर्षों के भीतर देशभर के विभिन्न रेल मार्गों पर कवच 4.0 को स्थापित करने की तैयारी कर रहा है।
-सौरभ जैन, वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक, कोटा
कवच क्या है?
यह एक स्वदेशी तकनीक पर आधारित ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन प्रणाली है।
यदि लोको पायलट ब्रेक लगाने में असफल रहता है, तो कवच खुद ब्रेक लगाता है।
खराब मौसम में भी सुरक्षित रूप से चलाने में मदद करता है।
10,000 इंजनों में कवच लगाने की योजना है।
69 लोको शेड इसके लिए तैयार किए गए हैं।
ऐसे शुरू हुआ कवच
कवच का पहला फील्ड परीक्षण 2016 में हुआ।
2018-19 में तीन कंपनियों को कवच 3.2 संस्करण की आपूर्ति के लिए मंजूरी मिली।
जुलाई 2020 में इसे राष्ट्रीय एटीपी प्रणाली के रूप में अपनाया गया।
जुलाई 2024 में कवच 4.0 संस्करण को मंजूरी दी गई, जिसमें कई सुधार शामिल हैं।