ब्लिट्ज ब्यूरो
बेहतर यही होगा कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप इस तथ्य को जल्द से जल्द आत्मसात कर लें कि यह नया भारत है और अब इसके साथ शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के बिना गुजारा नहीं हो सकता। यही सच्ची और अर्थपू्र्ण दोस्ती है।
वर्तमान में भारत और अमेरिका के बीच रिश्ते जितने खराब दौर से गुजर रहे हैं, उतने गत दो दशकों में कभी भी नहीं रहे। यही नहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल में तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन संबंधों को एक नई ऊंचाई प्रदान की थी। अपने दूसरे कार्यकाल में राष्ट्रपति ट्रंप ने जिस तरह से अपने करीबी देशों के साथ टैरिफ वॉर शुरू कर के रिश्ते बिगाड़े; उसकी मिसाल मिलना मुश्किल है, विशेष कर भारत के साथ; जिस पर उन्होंने 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया। अपने बड़बोलेपन के लिए चर्चित ट्रंप ने अपनी वाणी से इन रिश्तों में और खटास भर दी। भारत के हितों के लिए जब प्रधानमंत्री मोदी अमेरिका के बेतुके टैरिफ वॉर के समक्ष डट कर खड़े हो गए, तब ट्रंप को समझ आया कि नया भारत कोई ऐसा वैसा देश नहीं है। इससे पहले वह ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी भारत – पाकिस्तान युद्ध को रुकवाने का श्रेय लेने के लिए अनेक बार बड़बोलेपन से पू्र्ण बयान दे चुके हैं जिनका मोदी सरकार ने सदैव खंडन किया है। खैर, तनाव के इस दौर के बीच राष्ट्रपति ट्रंप ने फिर एक ऐसा बयान दिया है जिसने टैरिफ वॉर के भीषण तनाव के बीच पूरी दुनिया का ध्यान खींचा है।
दरअसल अमेरिका से रिश्तों में बीते कई दिनों से आए ठंडेपन को तब अचानक नई गर्माहट मिलती दिखी, जब अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी की सराहना की और उन्हें अच्छा दोस्त और महान प्रधानमंत्री बताया। इस पर मोदी ने भी प्रतिक्रिया देने में देरी नहीं की। सोशल मीडिया पर मोदी ने लिखा कि राष्ट्रपति ट्रंप की भावनाओं का सम्मान करते हैं। दोनों नेताओं के बीच सोशल मीडिया के जरिए इस बातचीत को द्विपक्षीय संबंधों के लिहाज से बेहद अहम माना जा रहा है। ट्रंप ने कहा, भारत रूसी तेल खरीद रहा है; इससे निराश हूं। उनसे जब पूछा गया कि क्या आप भारत से रिश्ते फिर से शुरू करने को तैयार है? इस पर ट्रंप ने कहा कि मैं हमेशा मोदी का दोस्त रहूंगा लेकिन इस वक्त जो वह कर रहे हैं, वह मुझे पसंद नहीं है पर भारत और अमेरिका का रिश्ता बहुत खास है। मैंने 50 प्रतिशत टैरिफ लगाकर इस निराशा को जाहिर कर दिया है। इस पर पीएम मोदी ने भी कहा, ‘प्रेजिडेंट ट्रंप की भावनाओं और हमारे संबंधों पर उनकी सकारात्मक राय की सराहना करता हूं। उसका पूरी तरह समर्थन करता हूं।
इन बयानों के बाद सभी यह कयास लगाने लगे हैं कि आने वाले समय में ट्रंप अपना रुख बदल सकते हैं। ट्रंप को यह समझ आने लगा है कि भारत के साथ रिश्तों को लंबे समय तक खराब नहीं रखा जा सकता। इसलिए अब सबकी निगाहें इस साल नवंबर में भारत में होने वाले क्वॉड शिखर सम्मेलन पर आ कर टिक गई हैं। रिश्तों में तनाव के बीच खबरें थीं कि ट्रंप क्वॉड शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए भारत नहीं आएंगे। प्रधानमंत्री मोदी ने ट्रंप को भारत आने का न्योता दिया था और ट्रंप ने इसे स्वीकार भी कर लिया था। अब जानकारों का कहना है कि क्वॉड का मंच अमेरिका से कारोबारी तनाव के बीच रिश्तों को मजबूत करने का अवसर दे सकता है।
इस बीच मोदी सरकार ट्रंप के टैरिफ वॉर के प्रभावों से निपटने के लिए हर संभव कदम उठा रही है ताकि नौकरीपेशा एवं व्यापारी वर्ग तथा इससे प्रभावित होने वाले लोगों और परिवारों को मुश्किलों से बचाया जा सके। इन उपायों के तहत ही सरकार ने जीएसटी सुधार की दिशा में व्यापक प्रभाव वाले फैसले लिए और आम आदमी तथा व्यापारी वर्ग को नवरात्र के पहले दिन से ही दीपावली की बड़ी सौगात और राहत दी। सरकार के इन फैसलों से भी अमेरिकी प्रशासन को झटका लगा है। यही नहीं; अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में भी मोदी सरकार के प्रयास रंग ला रहे हैं। अनेक देश भारत से व्यापार समझौता करने के इच्छुक हैं जो ट्रंप के टैरिफ वॉर को बेअसर कर देंगे। इसके अलावा जिस रूस-यूक्रेन युद्ध के नाम पर ट्रंप ने भारत पर टैरिफ लगाया है और उसे रुकवाने का श्रेय लेने के लिए ट्रंप परेशान हैं; उसके लिए भी यह कहा जा रहा है कि भारत और मोदी ही इसको रुकवाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। यह भी अमेरिका एवं ट्रंप के लिए झटके के रूप में देखा जाएगा ।
इस बीच मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने यूक्रेन जंग को जल्द खत्म करने के लिए जारी प्रयासों पर बातचीत भी की है। भारत बुद्ध और महावीर का देश है, एक ऐसा देश जिसने कभी निहित स्वार्थ के लिए दूसरों पर आक्रमण नहीं किया। भारत हमेशा से शांति और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व में विश्वास करता रहा है। दुनिया इसे स्वीकार कर रही है। यूक्रेन युद्ध में, भारत एक मध्यस्थ के रूप में उभर रहा है जिस पर सभी भरोसा कर सकते हैं। बेहतर यही होगा कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप इस तथ्य को जल्द से जल्द आत्मसात कर लें कि यह नया भारत है और अब इसके साथ शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के बिना गुजारा नहीं हो सकता। यही सच्ची और अर्थपू्र्ण दोस्ती है।