ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। वैश्विक जीडीपी की सुस्त रफ्तार और चीन पर बढ़ती भू-राजनीतिक आशंकाओं के बीच भारत विदेशी निवेशकों के लिए नई उम्मीद बनकर उभर रहा है। फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट और विश्लेषणों में भारत को एशिया का निवेश चुंबक बताया गया है। अखबार का कहना है कि अगर नीतिगत स्थिरता और पारदर्शिता कायम रखी जाए, तो भारत विदेशी निवेश का नया ग्रोथ इंजन बन सकता है।
भारत की विकास दर अगले पांच वर्षों तक वैश्विक औसत से अधिक रहेगी। युवा आबादी और मजबूत उपभोक्ता बाजार भारत की सबसे बड़ी पूंजी हैं। फाइनेंशियल टाइम्स ने लिखा, भारत का डेमोग्राफिक डिविडेंड निवेशकों के लिए वह आधार है, जो चीन में घट रहा है। चीन में लागत बढ़ने, अमेरिकी दबाव और भू-राजनीतिक जोखिमों के चलते वैश्विक कंपनियां आपूर्ति शृंखला विविधीकरण की ओर बढ़ रही हैं। इसलिए, भारत चाइना+1 रणनीति का सबसे बड़ा लाभार्थी बन रहा है। एपल, डेल और सैमसंग जैसी कंपनियां पहले ही भारत में उत्पादन बढ़ा रही हैं। यूरोप और जापान की कंपनियां विनिर्माण के लिए भारत पर अपना दांव लगा रही हैं।
सुधार निभा रहे अहम भूमिका
फाइनेंशियल टाइम्स ने कहा, जीएसटी, दिवालिया कानून और डिजिटल इंडिया जैसे सुधारों की विदेशी निवेश आकर्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका है। भारत ने डिजिटल भुगतान और यूपीआई के जरिये विदेशी निवेशकों को दिखाया है कि वह तकनीकी बदलावों को बड़े पैमाने पर लागू करने की क्षमता रखता है। सेमीकंडक्टर, नवीकरणीय ऊर्जा और रक्षा विनिर्माण में प्रोत्साहन पैकेजों ने भी वैश्विक निवेशकों का ध्यान खींचा है। अवसर अपार हैं, लेकिन चुनौतियां भी कम नहीं। टैक्स विवाद और अचानक नीतिगत बदलाव अब भी जोखिम बने हुए हैं। भूमि अधिग्रहण, श्रम कानून और न्यायिक प्रक्रिया की लंबी अवधि सबसे बड़ी बाधा है। निवेशकों के दिमाग में भारत का रेगुलेटरी रिस्क प्रीमियम हमेशा रहता है।
10 वर्षों में बदली स्थिति
2014 में शुरू ‘मेक इन इंडिया’ ने मैन्युफैक्चरिंग और एफडीआई पर जोर दिया। 2016 में लॉन्च यूपीआई से डिजिटल इंडिया को नई गति मिली। 2017 में जीएसटी लागू हुआ। 2019 में रिकॉर्ड एफडीआई मिला। 2020 में भारत डिजिटल सेवाओं और ई-कॉमर्स में वैश्विक आकर्षण बना। 2021 में पीएलआई योजना से मोबाइल निर्माण में निवेश बढ़ा। 2022 में अक्षय ऊर्जा प्रोजेक्ट में यूरोप और अमेरिकी कंपनियों ने बड़े निवेश किए। 2023 में सेमीकंडक्टर के लिए विशेष पैकेज। 2024 में अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी निवेश की घोषणाएं हुईं। 2025 में दुनिया की निगाहें भारत पर टिक गईं।