ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिकाओं की बाढ़ पर गंभीर चिंता जताते हुए जस्टिस वी.वी. नागरत्ना ने कहा कि सर्वोच्च अदालत वास्तव में जमानत अदालत बन गया है।
जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि ‘यदि ज्यादा पीठें उपलब्ध हों, या निचली अदालतें सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन करें, तो जमानत के कम मामले सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचेंगे। उन्होंने यह टिप्पणी तब की जब वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने आभार जताते हुए कहा कि उनकी (जस्टिस नागरत्ना) अध्यक्षता वाली पीठ अन्य दिनों में दोपहर के भोजन का अवकाश लेती है, जिससे वकीलों को भी अवकाश मिल सके। इस पर जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि ऐसे भोजनावकाश जरूरी हैं क्योंकि पीठ केवल जमानत मामलों की सुनवाई में ही थक जाती है। जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि पीठ ने 12 सितंबर को 25 और 19 सितंबर को 19 जमानत मामलों की सुनवाई की।
साथ ही कहा कि एक के बाद एक, हम जमानत देने या न देने पर विचार कर रहे हैं। वास्तव में सुप्रीम कोर्ट एक जमानत अदालत बन गया है। उन्होंने कहा कि मामला यहां आने तक मुकदमा शुरू हो चुका होता है।
‘जज में डर होता है’
वरिष्ठ अधिवक्ता शंकरनारायणन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट कई ऐसे मामलों में जमानत देता है, जिनमें हाईकोर्ट और निचली अदालतें जमानत देने से इनकार कर देती हैं। उन्होंने कहा कि अन्य अदालतों को भी जमानत देने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। वरिष्ठ अधिवक्ता ने शीर्ष कोर्ट से कहा कि जमानत देने में जज में काफी डर होता है। निचली कोर्ट के पास ज्यादा जानकारी होती है।