ललित दुबे
वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एच-1बी वीजा की सालाना फीस बढ़ाकर एक लाख डॉलर कर दी है। ट्रंप के इस फैसले ने अमेरिका में काम करने वाले भारतीयों की नींदें उड़ा दी हैं। 50 फीसदी टैरिफ के बाद यह दूसरा बड़ा झटका है जो ट्रंप ने भारत को दिया है। राष्ट्रपति के इस आदेश का सबसे ज्यादा असर भारतीयों पर देखा जाएगा, क्योंकि एच1 बी वीजा पाने वालों में भारतीयों की संख्या सबसे अधिक है। अमेरिकी वित्त वर्ष 2024 (30 सितंबर को समाप्त) में करीब दो लाख सात हजार भारतीयों को एच-1बी वीजा जारी किया गया।
ऐसे पड़ेगा भारतीयों पर असर
nफिलहाल अमेरिका में करीब 3 लाख हाई स्किल्ड भारतीय कर्मचारी हैं। इनमें से ज्यादातर टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री में काम कर रहे हैं व एच-1बी वीजा पर अमेरिका में रह रहे हैं।
nअमेरिका हर साल 85 हजार एच-1बी वीजा लॉटरी सिस्टम से जारी करता है। इसमें सबसे ज्यादा हिस्सा भारत का है। करीब 70 फीसदी एच-1बी वीजा भारतीय हासिल करते हैं। भारत के बाद दूसरे नंबर पर चीन है, जिसकी हिस्सेदारी महज 11-12 फीसदी है। यह आंकड़े अमेरिकी प्रशासन ने जारी किए हैं।
nपहले एच-1बी वीजा की फीस ज्यादातर 215 डॉलर से 750 डॉलर के बीच हुआ करती थी। यह कंपनी साइज और श्रेणी पर निर्भर करता था। अधिक से अधिक यह 5000 डॉलर का आंकड़ा पार कर सकता था। इसका मतलब यह हुआ कि नई फीस 20 से 100 गुना ज्यादा होगी। रुपए में बात करें तो यह 90 लाख तक पहुंच सकती है।
nमीडिया के विश्लेषण के मुताबिक यह फीस एच-1बी प्रोग्राम को नुकसान पहुंचा सकती है। असल में एक लाख डॉलर की वीजा फीस नए एच-1बी वीजा होल्डर्स की सैलरी से भी ज्यादा है। वहीं, यह सभी एच-1बी वीजा होल्डर्स की सालाना सैलरी से 80 फीसदी ज्यादा है।
भारतीयों के लिए क्या मायने
अमेरिका में भारतीयों के लिए इस वीजा काफी महत्वपूर्ण है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अमेरिका में भारतीय परिवारों के साथ एच-1बी वीजाधारकों की गिनती भारतीय-अमेरिकी जनसंख्या की करीब चौथाई होती है।