ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। भारत के दुश्मनों का काल कहे जा रहे ‘मिशन सुदर्शन चक्र’ की शुरुआत हो गई है। बताया जा रहा है कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के सामने एक प्रेजेंटेशन के साथ ही इसकी शुरुआत हो गई है। इसके लिए एक समिति का गठन भी किया गया है। बता दें कि ‘मिशन सुदर्शन चक्र’ इसरो के साथ-साथ भारत के न्यूक्लियर प्लांट्स को अभेद्य बना देगा।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जो समिति गठित की है, वह ‘मिशन सुदर्शन चक्र’ प्रोजेक्ट की लागत को देखते हुए इसके दायरे का निर्धारण करेगी। सूत्रों के मुताबिक चरणबद्ध तरीके से कार्य किया जाएगा और सबसे अहम क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जाएगी।
श्रीकृष्ण के सुदर्शन चक्र से नाता
बता दें कि लाल किले से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि वह राष्ट्रीय सुरक्षा कवच का विस्तार कर उसे मजबूत और आधुनिक बनाना चाहते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा था कि भगवान श्रीकृष्ण से प्रेरणा लेते हुए हमने सुदर्शन चक्र का मार्ग चुना है। उन्होंने महाभारत के उस प्रसंग को याद किया था जिसमें श्रीकृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र से सूर्य को रोक कर दिन में ही अंधकार कर दिया था।
क्या है ‘मिशन सुदर्शन चक्र’?
दरअसल, ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान ने भारत पर कई मिसाइलें दागने की कोशिश की। पाकिस्तान के इस प्रयास को भारत के एस-400 ने नाकाम कर दिया। इसके बाद से ही एक सुदर्शन चक्र सुरक्षा कवच बनाने को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई थीं। पीएम मोदी ने इसका एलान भी किया था। इसके तहत 2035 तक सभी सार्वजनिक स्थानों को एक सुरक्षा कवच से ढका जाएगा।
वर्तमान में युद्ध लंबी दूरी तक मार करने वाले हथियारों, परमाणु हथियार और मिसाइल रक्षा प्रणाली के बल पर लड़े जा रहे हैं। इसलिए राष्ट्रहित को ध्यान में रखते हुए पीएम मोदी ने ‘मिशन सुदर्शन चक्र’ की शुरुआत करके एक जरूरी कदम उठाया है।