ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यों की सराहना करते हुए कहा है कि 100 वर्षों की यात्रा के दौरान कई प्रतिबंधों और साजिशों के बावजूद संगठन ने कभी कटुता नहीं दिखाई क्योंकि यह संगठन राष्ट्र प्रथम के सिद्धांत पर काम करता रहा।
मोदी ने संघ के शताब्दी समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि भारत की आत्मा हमेशा विविधता में एकता में निहित रही है। इस सिद्धांत को तोड़ा गया तो देश की ताकत कम हो जाएगी। विजयादशमी का महापर्व भारतीय संस्कृति के शाश्वत उद्घोष का प्रतीक है। ऐसे पावन अवसर पर संघ की स्थापना कोई संयोग नहीं है।
कुचलने के कई प्रयास किए गए
प्रधानमंत्री ने कहा, आरोप लगाकर और झूठे मामले दर्ज करके आरएसएस की भावना को कुचलने के कई प्रयास किए गए हैं। उन्होंने महात्मा गांधी की हत्या के बाद आरएसएस पर लगे प्रतिबंध का संदर्भ देते हुए कहा, संघ ने झूठे मामले दर्ज होने, प्रतिबंध लगाने के बावजूद कभी कटुता नहीं दिखाई, क्योंकि हम ऐसे समाज का हिस्सा हैं, जहां हम अच्छे और बुरे दोनों को स्वीकार करते हैं। संघ के तत्कालीन प्रमुख माधव गोलवलकर को भी झूठे मामले में फंसाकर जेल भेज दिया गया था।
100 रुपये का सिक्क ा और
डाक टिकट जारी किया
प्रधानमंत्री ने संघ की स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में एक विशेष डाक टिकट और एक स्मारक सिक्क ा भी जारी किया। उन्होंने कहा, 100 रुपये के सिक्के पर एक तरफ राष्ट्रीय चिह्न है तो दूसरी तरफ सिंह पर विराजमान भारत माता की छवि और स्वयंसेवक भक्ति और समर्पण के साथ उनके सामने नतमस्तक दिख रहे हैं। पहली बार भारतीय मुद्रा पर भारत माता की छवि अंकित की गई है, जो अत्यंत गौरव और ऐतिहासिक महत्व का क्षण है।
आंतरिक सुरक्षा से जुड़ा है जनसांख्यिकीय मिशन
पीएम मोदी ने कहा कि जनसांख्यिकी (डेमोग्राफी) में हेरफेर भारत के सामाजिक सद्भाव के लिए घुसपैठ से बड़ा खतरा है। उन्होंने कहा कि जनसांख्यिकीय परिवर्तन से बड़ी चुनौती आ रही है, जो सामाजिक समानता को कमजोर कर रही है। मैंने जनसांख्यिकीय मिशन की घोषणा इसलिए की, क्योंकि यह देश की आंतरिक सुरक्षा और भविष्य से जुड़ा हुआ है।
देश के कोने-कोने तक पहुंचा संघ
प्रधानमंत्री ने कहा कि संघ सद्भाव को बढ़ावा देने, समावेशी समाज का संदेश फैलाने के लक्ष्य के साथ देश के कोने-कोने तक पहुंचा है। संघ ने अंग्रेजों के अत्याचारों के खिलाफ लड़ाई लड़ी। उन्होंने कहा, संघ के स्वयंसेवकों ने स्वतंत्रता सेनानियों को शरण दी और इसके संस्थापक डॉक्टर केशव बलिराम हेडगेवार भी स्वतंत्रता संग्राम के दौरान कई बार जेल गए थे।