ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में प्रमाणित निर्माताओं को इस शर्त पर हरित पटाखे बनाने की अनुमति दे दी कि इस क्षेत्र में बिना इजाजत इनकी बिक्री नहीं की जाएगी। शीर्ष कोर्ट ने केंद्र सरकार से दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में पटाखों के निर्माण पर पूर्ण प्रतिबंध पर नए सिरे से विचार करने के लिए भी कहा।
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस एनवी अंजारिया की पीठ ने कहा, अगर पटाखा निर्माता नियमों का पालन करते हैं, तो उन्हें निर्माण की अनुमति देने में क्या समस्या है? अतिवादी आदेश से समस्याएं पैदा होंगी। उन्हें बनाने दें और अगले आदेश तक एनसीआर में बिक्री न होने दें। पीठ ने कहा, मामले में संतुलित दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है।
पीठ ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को निर्देश दिया कि वह अंतिम निर्णय से पहले सभी हितधारकों से परामर्श करे। पीठ ने कहा, यह उचित होगा कि केंद्र इस मामले में दिल्ली सरकार, पटाखा निर्माताओं और विक्रेताओं सहित सभी हितधारकों के साथ बात कर एक समाधान लेकर आए। इस बीच, हम उन निर्माताओं को पटाखे बनाने की अनुमति देते हैं, जो राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (नीरी) और पेट्रोलियम एवं विस्फोटक सुरक्षा संगठन (पेसो) की ओर से प्रमाणित हैं। हालांकि, वे अगले आदेश तक निषिद्ध क्षेत्रों में पटाखे नहीं बेचेंगे।
पीठ ने निर्माण इकाइयों में कार्यरत श्रमिकों के आजीविका के अधिकार को भी ध्यान में रखते हुए कहा कि पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध के आदेश के बावजूद पाबंदी लागू नहीं की जा सकी।
ये आदेश दिल्ली-एनसीआर में पर्यावरण संबंधी चिंताओं से संबंधित एमसी मेहता की 1985 की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिए गए। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की रिपोर्ट दाखिल करने पर 8 अक्तूबर को याचिका पर फिर से सुनवाई होगी।
पटाखा निर्माताओं की ओर से वरिष्ठ वकील के परमेश्वर, केंद्र सरकार की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) ऐश्वर्या भाटी, मामले में कोर्ट की मदद के लिए नियुक्त न्यायमित्र अपराजिता सिंह ने सुनवाई में दलीलें रखीं। अदालत ने इस दलील पर भी गौर किया कि पटाखों पर प्रतिबंध को और मजबूत करने वाला कोर्ट का हालिया निर्देश 2018 के उस फैसले के विपरीत प्रतीत होता है, जिसमें इस मुद्दे पर पहले विस्तृत निर्देश दिए गए थे।