विनोद शील
लखनऊ। उत्तर प्रदेश को लंबे समय तक पिछड़ेपन और ‘बीमारू राज्य’ की छवि ने घेरे रखा लेकिन अब हालात बदल चुके हैं। भारत के महालेखाकार (सीएजी) की ताजा रिपोर्ट में यूपी को उन चुनिंदा 16 राज्यों में शामिल किया गया है, जो राजस्व अधिशेष (रेवेन्यू सरप्लस) में हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि उत्तर प्रदेश ₹37,000 करोड़ अधिशेष के साथ देश में नंबर-1 पर है और संयुक्त राष्ट्र द्वारा तय किए गए सतत विकास लक्ष्यों को भी हासिल करने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है। प्रदेश की यह उपलब्धि न केवल राज्य की वित्तीय मजबूती का प्रमाण है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि पिछले आठ वर्षों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार द्वारा उठाए गए आर्थिक कदमों ने उत्तर प्रदेश को विकास की दौड़ में नई पहचान दिलाई है और यूपी सतत विकास की राह पर बढ़ चला है।
कैसे बदली यूपी की तस्वीर?
1.टैक्स कलेक्शन में रिकॉर्ड उछाल
2012-13 में टैक्स कलेक्शन ₹54,000 करोड़ था, जो 2016-17 में बढ़कर ₹85,000 करोड़ हुआ।
योगी सरकार के कार्यकाल में यह 2017-18 के ₹95,000 करोड़ से 2024-25 में अनुमानित ₹2.25 लाख करोड़ तक पहुंच गया। यानी 8 वर्षों में 1.3 लाख करोड़ से अधिक की अतिरिक्त कमाई।
2.बजट हुआ दोगुने से ज्यादा
2012-13 में राज्य का बजट ₹2 लाख करोड़ था, जो 2016-17 तक ₹3.46 लाख करोड़ हुआ।
2017-18 में योगी सरकार ने ₹3.84 लाख करोड़ का बजट पेश किया।
2025-26 तक यह आकार ₹8.08 लाख करोड़ तक पहुंचने जा रहा है।
3.आर्थिक उत्पादन में बेमिसाल छलांग
2012-13 में सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) लगभग ₹8 लाख करोड़ था।
2016-17 तक यह ₹12.5 लाख करोड़ हुआ।
वर्तमान सरकार के दौरान 2017-18 के ₹13.6 लाख करोड़ से 20क25-26 तक यह ₹30 लाख करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है।
यूपी बनाम अन्य राज्य
यूपी का ₹37,000 करोड़ अधिशेष किसी भी राज्य से कहीं अधिक है। गुजरात (₹19,856 करोड़) और ओडिशा (₹15,560 करोड़) जैसे राज्य भी अधिशेष में हैं लेकिन यूपी का प्रदर्शन सबसे अलग है। दूसरी ओर आंध्र प्रदेश (-₹43,488 करोड़), तमिलनाडु (-₹36,215 करोड़) और राजस्थान (-₹31,491 करोड़) जैसे बड़े राज्य अब भी भारी घाटे से जूझ रहे हैं। यह तुलना साफ करती है कि वित्तीय अनुशासन और नीतिगत सुधार ने यूपी को उस श्रेणी में खड़ा कर दिया है जहां कई पारंपरिक रूप से समृद्ध राज्य भी पीछे रह गए। पश्चिम बंगाल, पंजाब और केरल जैसे कई राज्य अब भी केंद्र के राजस्व घाटा अनुदान पर निर्भर हैं। इसके उलट यूपी ने अपनी आंतरिक कमाई के स्रोत मजबूत किए हैं-जैसे जीएसटी, वैट, एक्साइज और गैर-टैक्स राजस्व। यही कारण है कि प्रदेश ने घाटे की छवि से बाहर आकर अधिशेष की स्थिति हासिल की है।
सीएम योगी की नीतियों का असर बना विकास की नई मिसाल
सूची में उप्र ₹37,000 करोड़ के रेवेन्यू सरप्लस के साथ सबसे ऊपर
राज्यों के 10 वर्षों के आर्थिक प्रदर्शन पर आधारित रिपोर्ट में यूपी की प्रगति का विशेष उल्लेख
रेवेन्यू सरप्लस वाले 16 राज्यों में कम से कम 10 में भाजपा का शासन
‘बीमारू’ नहीं अब ‘बेमिसाल’ है यूपी
यह उपलब्धि ‘डबल इंजन सरकार’ और मजबूत वित्तीय अनुशासन का नतीजा है। उत्तर प्रदेश अब न केवल देश के विकास में भागीदार है बल्कि नए भारत के आर्थिक नेतृत्व की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।
– मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ