ब्लिट्ज ब्यूरो
मुंबई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुंबई में ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर के साथ उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल बैठक आयोजित की, जिसमें दोनों ने व्यापार, संस्कृति तथा खेल क्षेत्रों में द्विपक्षीय साझेदारी को मजबूत करने की साझा प्रतिबद्धता पर बल दिया। इस बैठक के दौरान पीएम मोदी और स्टार्मर ने ‘विजन 2030’ रोडमैप की प्रगति की समीक्षा की। यह रोडमैप जुलाई 2024 में हस्ताक्षरित भारत-यूके मुक्त व्यापार समझौते (एटीए) के अनुरूप तैयार की गई दस वर्षीय रणनीतिक रूपरेखा है, जिससे नए निवेश, निर्यात वृद्धि, ब्रिटेन में 2200 से ज्यादा रोजगार सृजन तथा भारत में आयातित ब्रिटिश उत्पादों पर शुल्क में कमी की अपेक्षा है। नेताओं के संवाद में व्यापार-निवेश, रक्षा-सुरक्षा, स्वच्छ ऊर्जा, डिजिटल नवाचार, शिक्षा, स्वास्थ्य तथा जलवायु परिवर्तन जैसे क्षेत्रों में सहयोग को और सशक्त बनाने पर विशेष जोर दिया गया।
इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को गति देगा तथा रोजगार अवसरों में वृद्धि करेगा। साथ ही, उन्होंने द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करने का लक्ष्य 2030 से पहले पूरा करने का विश्वास व्यक्त किया। मोदी ने ब्रिटिश पीएम के साथ प्रमुख कंपनियों के सीईओ सम्मेलन को भी संबोधित किया।
उन्होंने कहा कि भारत और ब्रिटेन के बीच व्यापक आर्थिक एवं व्यापार समझौता (सीईटीए) ऐसे समय में स्थिरता प्रदान करेगा जब दुनिया अस्थिरता का सामना कर रही है। मोदी ने कहा कि आज भारत-ब्रिटेन द्विपक्षीय व्यापार 56 अरब डॉलर है। मुझे विश्वास है कि इसे दोगुना करने का लक्ष्य 2030 की निर्धारित समयसीमा से पहले हासिल कर लिया जाएगा। पीएम मोदी ने आगे कहा कि भारत और ब्रिटेन स्वाभाविक साझेदार हैं और दोनों देशों के बीच बढ़ते संबंध ऐसे समय में वैश्विक स्थिरता और आर्थिक प्रगति के महत्वपूर्ण स्तंभ हैं, जब विश्व अनिश्चितता के दौर से जूझ रहा है।
मोदी ने कहा कि हम हिंद-प्रशांत क्षेत्र में ब्रिटेन के साथ समुद्री सुरक्षा सहयोग बढ़ाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। इस अवसर पर ब्रिटिश प्रधानमंत्री स्टार्मर ने भारत और ब्रिटेन के उद्योग जगत के दिग्गजों से यह जानना चाहा कि दोनों देशों की सरकारें अवसरों का लाभ उठाने से रोकने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए क्या कर सकती हैं।
स्टार्मर ने कहा कि हम इस व्यापार समझौते से जुड़ी संभावनाओं को अधिकतम करने में आपकी सहायता करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि जुलाई में सीईटीए पर हस्ताक्षर होने के बाद से पिछले तीन महीनों में व्यापार और निवेश में छह अरब पाउंड की वृद्धि दर्ज की गई है।
एफटीए से लाभ
बि्रटिश प्रधानमंत्री की भारत यात्रा से ढाई महीने पहले दोनों देशों ने ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इस समझौते से बाजार तक पहुंच बढ़ेगी, शुल्कों में कटौती होगी। जुलाई में प्रधानमंत्री मोदी की लंदन यात्रा के दौरान इस ऐतिहासिक व्यापार समझौते पर मुहर लगी थी।
स्टार्मर की भारत यात्रा को लेकर एक ब्रिटिश विज्ञप्ति में कहा गया है कि इस यात्रा का लक्ष्य ब्रिटेन-भारत व्यापार समझौते से मिली गति को और आगे बढ़ाना है क्योंकि इससे दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में शामिल अर्थव्यवस्था तक ब्रिटिश व्यवसायों की पहुंच के द्वार खुल जाएंगे। इसमें कहा गया है कि जुलाई में ऐतिहासिक ब्रिटेन-भारत व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर के बाद भारत में आयातित ब्रिटिश वस्तुओं पर शुल्क कम हो जाएगा। दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में शामिल अर्थव्यवस्था के साथ व्यापार को ‘‘तेज गति” देने के ‘‘दरवाजे” ब्रिटिश व्यवसायों के लिए अब खुल गए हैं।
रोल्स रॉयस, ब्रिटिश टेलीकॉम, डियाजियो, लंदन स्टॉक एक्सचेंज और ब्रिटिश एयरवेज जैसी प्रमुख कंपनियों के शीर्ष अधिकारी स्टार्मर के प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा हैं। ब्रिटेन के व्यापार एवं वाणिज्य मंत्री पीटर काइल ने कहा, ‘‘हमने दिखा दिया है कि भारत के साथ व्यापार बढ़ाने की हमारी महत्वाकांक्षा की कोई सीमा नहीं है – हम एक साल से भी कम समय में एक समझौते पर बातचीत फिर से शुरू करने से लेकर व्यापार जगत के 125 प्रतिभाशाली नेताओं को उसकी वित्तीय राजधानी में ले जाने तक पहुंच गए हैं।
उन्होंने कहा , ‘‘हमारा समझौता भारत के साथ किसी भी देश द्वारा किया गया अब तक का सबसे अच्छा समझौता है और यह ब्रिटिश व्यवसायों को एक विशाल एवं निरंतर बढ़ते बाजार तक पहुंचने की कतार में सबसे आगे रखता है।
उन्होंने कहा, ‘‘अब हम जमीनी स्तर पर काम कर रहे हैं और व्यवसायों को इस समझौते के लागू होने के बाद प्राप्त हुई बड़ी सफलताओं का पूरा लाभ उठाने के लिए तैयार करने के मकसद से हर संभव प्रयास कर रहे हैं ताकि हम घरेलू स्तर पर विकास, रोजगार और समृद्धि ला सकें।” विज्ञप्ति के अनुसार, ब्रिटिश उत्पादों पर भारत का औसत शुल्क 15 प्रतिशत से घटकर तीन प्रतिशत हो जाएगा, जिसका अर्थ है कि भारत में शीतल पेय और सौंदर्य प्रसाधनों से लेकर कारों और चिकित्सा उपकरणों तक, उत्पाद बेचने वाली ब्रिटिश कंपनियों के लिए भारतीय बाजार में बिक्री करना आसान हो जाएगा। इसमें कहा गया है कि शुल्क को 150 प्रतिशत से घटाकर 75 प्रतिशत करने और फिर अगले 10 वर्षों में इसे और घटाकर 40 प्रतिशत करने से व्हिस्की उत्पादकों को विशेष रूप से लाभ होगा, जिससे ब्रिटेन को अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धियों पर बढ़त मिलेगी।
– बढ़ेगी एमएसएमई की गति, रोजगार में भी होगी वृद्धि
– द्विपक्षीय व्यापार दोगुना करने का लक्ष्य 2030 से पहले पूरा करने का विश्वास