ब्लिट्ज ब्यूरो
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विगत दिवस नमामि गंगे एवं ग्रामीण जलापूर्ति विभाग (लघु सिंचाई) की बैठक में कहा कि प्रदेश में 100 वर्ग मीटर से बड़े सभी भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग की सुविधा अनिवार्य रूप से होनी चाहिए। शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में जल संरक्षण के लिए यह कदम निर्णायक साबित होगा।
सीएम योगी ने विकास प्राधिकरणों को यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया है कि हर घर में वर्षा जल के संचयन का इंतजाम जरूर हो। इसके साथ ही विकास प्राधिकरणों को नगर निगम की तर्ज पर अपना बॉन्ड लाने का निर्देश दिया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 2017 तक प्रदेश में 82 अतिदोहित और 47 क्रिटिकल क्षेत्र थे। वर्ष 2024 में यह घटकर 50 अतिदोहित और 45 क्रिटिकल क्षेत्र रह गए हैं, जो संतोषजनक है। इस दिशा में और तेजी लाकर आने वाले वर्षों में इन क्षेत्रों को पूरी तरह सामान्य श्रेणी में लाने का प्रयास होना चाहिए।
अधिकारी फाइलों तक सीमित न रहें
योगी ने कहा कि अवस्थापना और शहरी विकास कार्यों को नए स्तर पर ले जाया जाए। वरिष्ठ अधिकारी फाइलों तक सीमित न रहें, धरातल पर उतरकर परियोजनाओं की प्रगति देखें। मेरठ, कानपुर और मथुरा-वृंदावन के समग्र विकास के लिए 1833 करोड़ रुपये की लागत से 38 परियोजनाएं प्रस्तावित हैं। इनमें मेरठ में 11, कानपुर में 13 और मथुरा वृंदावन में 14 शामिल हैं। सीएम ने निर्देश दिया कि हर प्रस्ताव को स्थानीय स्तर पर सर्वे और अध्ययन के बाद ही अंतिम रूप दिया जाए ताकि योजनाएं जरूरतों के अनुरूप हों और जनता को वास्तविक लाभ मिल सके।
मानक पूरे होने पर ही हो बसावट
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि मलिन बस्तियों का कायाकल्प जरूरी है। मूलभूत सुविधाओं का विस्तार किया जाए। उन्होंने यह भी कहा है कि बिना मानक और नगर निकायों की बिना अनुमति के विकसित होने वाली कालोनियों व बस्तियों पर रोक लगाई जाए। मुख्यमंत्री ने नगर विकास विभाग की बैठक में कहा कि अलग-अलग विभागों द्वारा अलग-अलग काम करने से योजनाओं में अनावश्यक देरी होती है। इसलिए सभी विभाग मिलकर साझा कार्ययोजना बनाएं और समयबद्ध ढंग से क्रियान्वयन करें। मलिन बस्तियों में साफ-सफाई, पेयजल आपूर्ति, जल निकासी, सड़क कनेक्टिविटी और स्ट्रीट लाइट जैसी मूलभूत सुविधाओं को सुनिश्चित किया जाए।
उन्होंने कहा कि जल निकासी व्यवस्था (ड्रेनेज सिस्टम) को और मजबूत करने की जरूरत है। प्रत्येक शहर में ऐसी नाली की व्यवस्था होनी चाहिए जिससे भारी बारिश के बाद जलभराव की समस्या उत्पन्न न हो। ड्रेनेज सिस्टम के सुधार और नई व्यवस्थाओं की नियमित मॉनिटरिंग की जाए ताकि नागरिकों को बरसात के समय किसी असुविधा का सामना न करना पड़े।