गुलशन वर्मा
नई दिल्ली। इंडियन एयरफोर्स अपने सबसे भरोसेमंद लड़ाकू विमान को नया अवतार देने जा रहा है। यह विमान एडवांस फाइटर जेट की श्रेणी में शुमार हो जाएगा। रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय वायुसेना ने एसयू-30एमकेआई के बेड़े को आधुनिक बनाने का एक बड़ा प्रोजेक्ट शुरू कर दिया है। इस प्रोजेक्ट के तहत, करीब 200 एसयू-30 एमकेआई जेट्स को 4.5 से 4.7 जनरेशन के लेवल पर अपग्रेड किया जाएगा। इस अपग्रेड में विमान को एआई से लैस कॉकपिट और स्वदेशी रूप से विकसित ‘विरुपाक्ष’ एईएसए रडार से लैस किया जाएगा जो भारतीय सेना को एक एडवांस और करीब-करीब 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान की श्रेणी में लाकर खड़ा कर देगा। बशर्ते स्टील्थ टेक्नोलॉजी नहीं होगी, जिसकी भरपाई लंबी रेंज की मिसाइलों और घातक स्पीड से होगी।
यह अपग्रेड स्वदेशी तकनीक के इस्तेमाल पर जोर देने और भरोसा कायम करने के लिए है। खासकर ‘विरुपाक्ष’ एईएसए रडार के साथ। एयर चीफ मार्शल (सेवानिवृत्त) आर.के.एस. भदौरिया जैसे दिग्गजों द्वारा शुरू किया गया यह प्रोजेक्ट, अब इंडियन एयरफोर्स को एक ऐसी शक्ति देगा जो क्षेत्रीय खतरों का निर्णायक रूप से मुकाबला कर सकने में सक्षम होंगे। यह कायापलट एसयू-30एमकेआई को अगले 20 से 25 सालों तक सेवा में बने रहने के लिए तैयार करेगा।
एआई कॉकपिट और ‘विरुपाक्ष’ क्यों हैं जरूरी?
भारतीय वायुसेना का यह अपग्रेड प्रोग्राम रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत के सपने को पूरा करना है। इस कायापलट के दो सबसे अहम पहलू हैं। पहला ‘विरुपाक्ष’ रडार और दूसरा एआई कॉकपिट।
1. नई आंख: ‘विरुपाक्ष’: एईएसए रडार
इस अपग्रेड का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा ‘विरुपाक्ष’ एईएसए यानी एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड एरे रडार है। यह रडार पूरी तरह से भारत में विकसित किया गया है। ‘विरुपाक्ष’ का नामकरण तीन आंखों वाले शिव के नाम से है।
ऐसे में, यह रडार को बेजोड़ जागरूकता और सटीकता प्रदान करेगा। इतना ही नहीं, यह नया रडार पुराने रूसी रडार की तुलना में ज़्यादा दूरी से दुश्मन के विमानों और मिसाइलों को ट्रैक कर सकता है। साथ ही, एईएसए रडार की टेक्नोलॉजी दुश्मन के जैमिंग प्रयासों का बेहतर तरीके से मुकाबला कर सकती है, जिससे पायलट को जंग के मैदान में निर्णायक बढ़त मिलेगी।
2. नया दिमाग: एआई-आधारित कॉकपिट
करीब 200 विमानों के कॉकपिट को अत्याधुनिक तकनीक से बदला जाएगा। इस अपग्रेड के बाद कॉकपिट में एआई को शामिल किया जाएगा। आपको बता दें, एआई सिस्टम पायलट को तेजी से और सटीक निर्णय लेने में मदद करेगा।
ऐसे में, एआई मुश्किल मिशनों के दौरान पायलट पर काम के बोझ को कम करेगा, जिससे पायलट दुश्मनों के मुकाबले और रणनीति पर ज्यादा ध्यान दे सकेंगे। नया कॉकपिट और एवियोनिक्स विमान के ओवरऑल सुरक्षा स्तर को भी बढ़ाएगा।
इंडियन एयरफोर्स की मारक क्षमता बढ़ेगी
इस अपग्रेड का सीधा असर इंडियन एयरफोर्स की ऑपरेशनल क्षमताओं और क्षेत्रीय संतुलन पर पड़ेगा। ऐसे में, यह अपग्रेड एसयू-30एमकेआई को अमेरिका के एफ-15ईएक्स या चीन के जे-16 जैसे आधुनिक लड़ाकू विमानों की श्रेणी में लाकर खड़ा कर देगा।
इस प्रोजेक्ट की सबसे खास बात यह होगी कि यह प्रोजेक्ट देश की रक्षा-उत्पादन क्षमता को भी मजबूत करेगा। वहीं, इस अपग्रेड में लगे ज्यादातर उपकरण भारत में ही बनेंगे, जो देश के रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता का एक बड़ा कदम है।