ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने सरकारी स्कूलों में कक्षा 1 से 8 तक के छात्रों को पढ़ाने वाले शिक्षकों के लिए शिक्षक योग्यता परीक्षा (टीईटी) को अनिवार्य बनाने के अपने फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं को अब एक बड़ी पीठ के पास भेज दिया है।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई कर रही जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि इस याचिका में कई कानूनी प्रश्न और पहलू हैं। लिहाजा ये पीठ इस मामले को ऐसे ही अन्य समान मामलों के साथ सुनवाई के लिए चीफ जस्टिस के पास अग्रसारित करती है ताकि बड़ी पीठ का गठन कर इस मामले से जुड़े सभी पहलुओं पर विस्तृत सुनवाई के बाद उन वैधानिक प्रश्नों के उत्तर दिए जा सके।
इससे पहले हुई थी सुनवाई
इससे पहले उत्तर प्रदेश और कुछ राज्यों में टीईटी की अनिवार्यता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे इम्तिहान पूरे देश में कराने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने 1 सितंबर 2025 को जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस मनमोहन की पीठ ने इस मामले में अपना निर्णय सुनाया था।
क्या है टीईटी का नियम
इसके अनुसार कक्षा 1 से 8 तक छात्रों को पढ़ाने वाले सभी शिक्षकों के लिए टीईटी पास करना अनिवार्य है।
यह नियम 2011 के बाद नियुक्त शिक्षकों पर लागू होता है, जिन्होंने टीईटी पास नहीं किया है। उन्हें दो साल के भीतर टीईटी पास करना होगा वरना उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति लेनी होगी। जो शिक्षक सेवानिवृत्ति के करीब हैं और जिनकी नौकरी पांच साल से कम बची है, उन्हें इस नियम में छूट दी गई है लेकिन अगर उन्हें पदोन्नति यानी प्रमोशन चाहिए तो टीईटी पास करना होगा।