ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। दिल्ली सरकार ने राजधानी में तीन नए औद्योगिक क्षेत्रों के विकास का प्रस्ताव तैयार कर लिया है। यह प्रस्ताव जल्द ही कैबिनेट की बैठक में पेश किया जाएगा। वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार ये औद्योगिक क्षेत्र कंझावला, रानीखेड़ा, और बापरोला में विकसित किए जाएंगे। दिल्ली को ये 3 नए औद्योगिक क्षेत्र कई बरसों बाद मिलेंगे।
उद्योग मंत्री, मनजिंदर सिंह सिरसा ने बताया कि इन नई जगहों पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, बायोटेक्नोलॉजी और एडवांस्ड रोबोटिक्स जैसी नई तकनीकों पर काम करने वाले उद्योगों को प्राथमिकता दी जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार इन उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिए वित्तीय सहायता भी उपलब्ध कराएगी, ताकि नई तकनीक आधारित उद्योगों का प्रसार तेजी से हो सके। यह प्रोजेक्ट पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल के तहत पूरा किया जाएगा।
1200 एकड़ जमीन का इस्तेमाल
इन नए औद्योगिक क्षेत्रों के लिए करीब 1200 एकड़ जमीन का इस्तेमाल किया जाएगा। इससे आने वाले सालों में लाखों लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद है। रानीखेड़ा में लगभग 147 एकड़ जमीन है, जिसे सरकार ने एक औद्योगिक हब बनाने के लिए तय किया था। वहीं, दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के बापरोला में 137 एकड़ जमीन है, जहां ‘प्लग-एंड-प्ले’ सुविधाओं वाली एक वर्ल्ड-क्लास इलेक्ट्रॉनिक सिटी बनाने की योजना है। कंझावला क्षेत्र को भी आधुनिक औद्योगिक और टेक्नोलॉजी हब के रूप में विकसित किया जाएगा।
सैटेलाइट टाउन के रूप में होगा विकास
अधिकारियों का कहना है कि ये नई औद्योगिक जगहें मौजूदा जगहों से अलग होंगी।
अभी की जगहें ज्यादातर फैक्टि्रयों के लिए हैं, लेकिन इन्हें सैटेलाइट टाउन की तरह विकसित किया जाएगा। इसका मतलब है कि यहां ऑफिस, रहने की जगहें, सामुदायिक केंद्र, होटल, बाजार और क्लब जैसी सभी सुविधाएं होंगी। इससे लोगों के रहने का अनुभव बेहतर होगा। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, हम इन औद्योगिक क्षेत्रों को ‘गुरुग्राम साइबर सिटी’ की तर्ज पर विकसित करना चाहते हैं, जहां उद्योग के साथ-साथ वाणिज्यिक और आईटी सेक्टर का भी विकास हो।
अभी दिल्ली में कितने इंडस्टि्रयल एस्टेट?
फिलहाल, दिल्ली में 29 प्लान्ड इंडस्टि्रयल एस्टेट और 25 नॉन-कन्फॉर्मिंग पॉकेट्स हैं। दिल्ली स्टेट इंडस्टि्रयल एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड के तहत इनमें से कई जगहों पर खाली प्लॉट हैं। नई औद्योगिक जगहों पर पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए इको-फ्रेंडली इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने पर भी जोर दिया जाएगा, ताकि पर्यावरण पर कम से कम असर पड़े।