गुलशन वर्मा
नई दिल्ली। डीआरडीओ ने इंडियन नेवी को दिया है दिवाली का खास तोहफा। 500 किमी रेंज वाला स्वोथ रडार समंदर पर पैनी नजर रखेगा। यह रडार समुद्री और हवाई लक्ष्यों की लंबी दूरी से निगरानी और ट्रैकिंग की क्षमता देगा। बाय-स्टैटिक डिजाइन और हाई फाई सिग्नल इसे स्टेल्थ और खराब मौसम में भी प्रभावी बनाते हैं।
यह रडार तकनीक पारंपरिक रडारों की तुलना में बहुत आगे है और इसे समुद्र में मौजूद सतही जहाजों, पनडुब्बियों और कम ऊंचाई पर उड़ रहे विमानों को लंबी दूरी से ट्रैक करने के लिए डिजाइन किया गया है। स्लोथ रडार हाई फ्रीक्वेंसी सिग्नल का इस्तेमाल करता है, जिससे यह रडार पृथ्वी की सतह के साथ सिग्नल को फैलाकर 500 किलोमीटर तक के लक्ष्य को पहचान सकता है, जबकि पारंपरिक रडार केवल 20-50 किलोमीटर तक ही देख पाते हैं।
सिग्नल छोड़े बिना करता है काम
इस रडार का सबसे खास हिस्सा इसका बाय-स्टैटिक डिजाइन है। इसमें ट्रांसमीटर और रिसीवर अलग-अलग जगह पर होते हैं। इससे रडार की पहचान मुश्किल हो जाती है और यह दुश्मन की मिसाइलों के हमले से सुरक्षित रहता है
इसके अलावा, यह सिस्टम पैसिव मोड में भी काम कर सकता है, यानी बिना ज्यादा सिग्नल छोड़ने के ही समुद्री सतह पर मौजूद चीजों को ट्रैक कर सकता है।
स्टील्थ टेक्नोलॉजी वाले जहाज भी खतरे में
स्लोथ रडार एचएफ बैंड (3-30 मेगाहर्ट्ज) में काम करता है। इसका सिग्नल समुद्र की सतह के साथ फैलता है और रिसीवर इसे कई किलोमीटर दूर से पकड़ लेते हैं। इससे रडार जहाजों की गति, स्थिति और प्रकार का सही-सही पता लगा सकता है, भले ही वे स्टेल्थ तकनीक वाले हों या छोटे आकार के।
डीआरडीओ के इलेक्ट्रॉनिक्स और रडार डेवलपमेंट इस्टैब्लिशमेंट ने इसका अधिकांश सिस्टम विकसित कर लिया है। एच एफ ट्रांसमीटर, रिसीवर एरे, सिग्नल प्रोसेसिंग यूनिट और बीमफॉर्मिंग एल्गोरिदम पहले ही तैयार हैं और 2024 में परीक्षण सफल रहे। अब गुजरात तट पर एंटीना इंस्टॉलेशन के लिए साइट तैयार की जा रही है। ट्रांसमीटर बड़े लॉग-पिरियॉडिक या डिपोल एरे से लैस होगा, जबकि रिसीवर के लिए संवेदनशील लूप एंटेना का इस्तेमाल किया जाएगा। 2026 में इसका इंस्टॉलेशन और फील्ड ट्रायल शुरू होगा।
भारतीय नौसेना की लंबी अवधि की योजना का हिस्सा है और यह समुद्र में सुरक्षा और निगरानी को नए स्तर पर ले जाएगा। यह रडार पीएल नेवीए जैसी संभावित खतरनाक गतिविधियों को ट्रैक करने में मदद करेगा और भारतीय नौसेना को समय रहते प्रतिक्रिया देने की क्षमता देगा। बाय-स्टैटिक डिजाइन और एचएफ सिग्नल की मजबूती इसे खराब मौसम और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध के दौरान भी प्रभावी बनाती है।































