ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। अब पाकिस्तानी आतंकियों को छिपकर घुसपैठ करना भारी पड़ेगा। दरअसल, भारतीय सेना ने नियंत्रण रेखा ( एलओसी ) पर निगरानी और रसद बढ़ाने के लिए रोबोटिक खच्चरों या मल्टी-यूटिलिटी लेग्ड इक्विपमेंट (एमयूएलई) का उपयोग करना शुरू कर दिया है जिसके एक इशारे पर सेना पाकिस्तानी दुश्मन को सेकेंड भर में ढेर कर देगी। सेना के एक अधिकारी ने कहा कि भारतीय सेना द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे रोबोटिक खच्चर, सेना द्वारा शुरू किए गए कई नवाचारों में से एक हैं।
हम अगली पीढ़ी के हथियारों और उपकरणों का इस्तेमाल कर रहे हैं। इन रोबोटिक खच्चरों को गश्त के लिए तैनात किया जाता है। इनमें लगे कैमरों की वजह से हम खतरे का पहले ही पता लगा सकते हैं। रोबोटिक खच्चरों में सेंसर और कैमरे लगे होते हैं। हमने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी इनका इस्तेमाल किया था।
एयरोआर्क कंपनी ने निर्माण किया
आर्क वेंचर्स (एआरसीवी) की नई दिल्ली स्थित सहायक कंपनी एयरोआर्क द्वारा विकसित एआरसीवी म्यूले को विभिन्न कार्यों के लिए डिजाइन किया गया है। इनमें परिधि सुरक्षा, संपत्ति की सुरक्षा, खतरनाक सामग्री (सीबीआरएनई), बम निरोधक और खुफिया जानकारी एकत्र करना शामिल है। रोबोटिक खच्चर, जिसे मल्टी-यूटिलिटी लेग्ड इक्विपमेंट (एमयूएलई) के रूप में भी जाना जाता है, को दूर से नियंत्रित या स्वायत्त रूप से संचालित किया जा सकता है।
कंप्यूटर, बैटरी से लेकर ये उपकरण लगे होते हैं
इसमें एक कंप्यूटर, बैटरी, आगे और पीछे के सेंसर और गतिशीलता के लिए पैर होते हैं। भारतीय सेना को कथित तौर पर जून 2024 में इनमें से 100 रोबोटिक खच्चर मिले थे। इन सभी इलाकों में चलने वाले रोबोट का उद्देश्य विविध वातावरण में सैनिकों की दक्षता और सुरक्षा में सुधार करना है। वे सीढ़ियों, खड़ी ढलानों और मलबे से भरे क्षेत्रों में चल सकते हैं।































