ब्लिट्ज ब्यूरो
वाराणसी। धार्मिक नगरी काशी में दीपावली पर एक अनोखा और प्रेरणादायक दृश्य देखने को मिला। मुस्लिम महिलाओं ने भगवान राम की आरती उर्दू में गाकर शांति और एकता का संदेश दिया। यह कार्यक्रम 19 वर्षों से नियमित रूप से आयोजित किया जा रहा है।
धार्मिक नगरी काशी में विश्व शांति का संदेश देने के लिए दीपावली पर बड़ी संख्या में मुस्लिम महिलाएं लमही के सुभाष भवन में भगवान श्रीराम की आरती के लिए एकत्र हुईं। मुस्लिम महिला फाउंडेशन और विशाल भारत संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में 19 वर्षों से चली आ रही मुस्लिम महिलाओं की श्रीराम महाआरती का आयोजन किया गया।
‘जगद्गुरु बालक देवाचार्य के मार्गदर्शन में मुस्लिम महिलाओं ने फूलों से सजी थाल में दीपक जलाकर भगवान श्रीराम और माता जानकी की प्रतिमा की आरती की। नाजनीन अंसारी द्वारा उर्दू में रचित श्रीराम आरती को सभी ने मिलकर गाया। यह आयोजन अलगाववादियों और कट्टरपंथी समूहों के लिए करारा जवाब है। जगद्गुरु स्वयं मुस्लिम महिलाओं के साथ आरती में शामिल हुए। आरती के बाद मुस्लिम महिला फाउंडेशन की राष्ट्रीय अध्यक्ष नाजनीन अंसारी ने सभी को भगवान श्रीराम का भोग वितरित किया।
इस अवसर पर जगद्गुरु बालक देवाचार्य जी महाराज ने कहा, इस दृश्य से विश्व को सबक लेना चाहिए। घर-परिवार से लेकर देश में शांति स्थापित करने के लिए राम के नाम का सहारा लें। राम की संस्कृति सभी को साथ लेकर चलने और बिना भेदभाव के सबको गले लगाने की है। मुस्लिम महिलाओं ने अपने पूर्वजों की संस्कृति को अपनाकर अपनी जड़ों से जुड़ने का प्रयास किया है। यह प्रयास रामराज्य की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। मुस्लिम महिला फाउंडेशन की राष्ट्रीय अध्यक्ष नाजनीन अंसारी ने कहा, हमने मजहब बदला है, धर्म नहीं। धर्म तो केवल सनातन है। हम सभी सनातनी हिंदू हैं। अपने पूर्वजों और परंपराओं से सभी भारतीय एक हैं। पूजा का तरीका बदलने से हम अपनी जड़ों और परंपराओं को कैसे छोड़ सकते हैं? राम का नाम सुख, समृद्धि, शांति, दया, प्रेम, करुणा, संबंध, संस्कार, एकता, त्याग और सम्मान का प्रतीक है। यदि राम के नाम से यह संभव है, तो प्रत्येक देश को अपने परिवार और राष्ट्र को बचाने के लिए राम नाम की पूंजी संग्रह करनी चाहिए।
विशाल भारत संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राजीव श्री गुरुजी ने कहा, रामपंथ ही विश्व में फैली नफरत को समाप्त करने का एकमात्र साधन है। जहां राम के कदम पड़ेंगे, वहां रामराज्य का सुखद अनुभव होगा। राम का आगमन पीड़ा से मुक्ति, प्रेम की वृद्धि और सेवा के संस्कार का प्रतीक है। यही देश को महान बनाएगा। विश्व अब शांति की तलाश में है, तो आइए राम की ओर बढ़ें, जहां सभी की स्वीकार्यता है।
विशाल भारत संस्थान की केंद्रीय परिषद सदस्य डॉ. नजमा परवीन ने कहा, हम इतने बेगैरत नहीं कि अपने पूर्वजों को भूलकर अरबी या तुर्की बनने का दिखावा करें। हम शुद्ध भारतीय हैं और हमारी जड़ें सनातन में हैं। जाति और गोत्र हमारी पहचान हैं। कोई फतवा या धमकी हमें हमारे श्रीराम से अलग नहीं कर सकती।































