सिंधु झा
नई दिल्ली। आधुनिक हवाई श्रेष्ठता की प्रतिस्पर्धी दुनिया में जहां मिसाइलें रडार को भी मात दे देती हैं और युद्ध क्षितिज से परे भी जारी रहते हैं, भारत का स्वदेशी अस्त्र एमके थ्री यानी गांडीव एक संभावित गेम-चेंजर के रूप में उभर रहा है। 350 किलोमीटर की जबरदस्त मारक क्षमता वाली, आंखों से ओझल होने वाली, हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल चीन और पाकिस्तान की मिसाइल से बेहतर मानी जा रही है। ऐसे संकेत हैं कि 2027 तक गांडीव को तेजस के साथ एकीकृत किया जायेगा।
गांडीव भारत की पहली स्वदेशी दृश्य सीमा से परे हवा-से-हवा में मार करने वाली मिसाइल है, जिसे दुश्मन के विमानों को निशाना बनाने के लिये डिज़ाइन किया गया है । यह मिसाइल स्वदेशी रेडियो फ्रीक्वेंसी सीकर से सुसज्जित है, जो रडार की मदद से लक्ष्य का पता लगाने, उसे ट्रैक करने और लॉक करने की क्षमता प्रदान करती है, जिससे अंतिम चरण में उच्च सटीकता सुनिश्चित होती है।
गांडीव भारत की पहली स्वदेशी दृश्य सीमा से परे हवा-से-हवा में मार करने वाली मिसाइल है, जो ध्वनि की गति से तेज और गतिशील लक्ष्यों को 100 किमी से अधिक दूरी और 20 किमी की ऊंचाई तक भेदने में सक्षम है। यह इनर्शियल नेविगेशन, मिड-कोर्स डेटा लिंक अपडेट्स और सक्रिय रडार होमिंग का उपयोग करती है तथा इसमें धुआंरहित ठोस ईंन्धन इंजन लगा है, जिससे इसकी गोपनीयता और भी बढ़ जाती है।
मिसाइल में सक्रिय रेडियो फ्रीक्वेंसी सीकर लगी है, जो इसे फायर एंड फॉरगेट (दागो और भूल जाओ) और बड्डी लॉन्च मोड (जिसमें एक विमान मिसाइल लॉन्च करता है और दूसरा मार्गदर्शन देता है) जैसी क्षमताएं प्रदान करता है। गांडीव सिर्फ एक क्रमिक उन्नयन नहीं है; यह डीआरडीओ की गौरवशाली मिसाइल श्रृंखला में एक बड़ी छलांग है।































