ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर उड़ानें भरते-उतरते विमानों का कानफोड़ू शोर अब फिर से सुर्खियों में है। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (डीआईएएल) की पुनर्विचार याचिका को ठुकरा दिया, जिससे नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) को शोर निगरानी के मुद्दे पर नई अर्जी सुनने का रास्ता साफ हो गया। जस्टिस बीवी नागरत्ना और आर महादेवन की बेंच ने कहा कि कोई स्पष्ट गलती नहीं है और याचिका में कोई दम नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने 1 सितंबर को एक सिविल अपील खारिज करते हुए याचिकाकर्ता को एनजीटी में नई अर्जी दाखिल करने की अनुमति दी थी। याचिकाकर्ता सोसाइटी फॉर प्रोटेक्शन ऑफ कल्चर, हेरिटेज और एनवायरनमेंट है। कोर्ट ने कहा कि एनजीटी पुरानी मांगों सहित शोर निगरानी के पालन की जांच करे। एनजीटी को निर्देश दिया गया कि अर्जी को जल्द और कानून के अनुसार निपटाए।
मार्च, 2024 का आदेश
एनजीटी ने मार्च 2024 में ‘डायल’ को एयरपोर्ट के आसपास कई जगहों पर शोर मॉनिटरिंग सिस्टम लगाने और डेटा वेबसाइट पर डालने का आदेश दिया था लेकिन याचिकाकर्ताओं का कहना है कि ‘डायल’ ने सिर्फ पांच टर्मिनल लगाए। एयरपोर्ट में आठ रनवे हैं, जो 16 हिस्सों में बंटे हैं। रनवे 29/11 पर आधी से ज्यादा उड़ानें होती हैं। वसंत कुंज और आसपास के इलाकों में शोर की गंभीर परेशानी है।
अब नई जांच की संभावना
एनजीटी ने जुलाई 2024 में ‘डायल’ को निर्देशों का पालन करने वाला बताया था। इससे नाराज याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। अब कोर्ट के याचिका खारिज करने से एनजीटी शोर कम करने के उपायों की पूरी समीक्षा कर सकता है। जरूरत पड़ी तो अतिरिक्त कदम भी सुझा सकता है।































