दीपक द्विवेदी
बिहार की विजय ने देश की अगले एक दशक की भावी राजनीति की पटकथा का पहला अध्याय लिख दिया है। बिहार के विधानसभा चुनावों का मुख्य राजनीतिक संदेश यह है कि भारत के अगले एक दशक की राजनीति के नायक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही रहेंगे।
विपक्ष हताश और निराश ही नहीं बल्कि अब अहम प्रश्न यह है कि वह अपने संभावित बिखराव को कैसे रोकेगा? दिन के उजाले के तरह की इस सच्चाई को नकारा नहीं जा सकता है कि बिहार के चुनाव परिणामों ने उत्तर प्रदेश के पक्ष में विपक्ष के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। बिहार देश में सबसे ज़्यादा राजनीतिक संवेदनशीलता और जागरूकता वाला प्रदेश है। बिहार के हर घर और परिवार में राजनीतिक जागरूकता रची और बसी हुई है। बिहार के लिए चुनावों में भाजपा गठबंधन को मिली प्रचंड जीत से संदेश साफ है कि अगले एक दशक में भाजपा गठबंधन की राजनीति को सर्वोच्च प्राथमिकता देगी।
बिहार के चुनाव परिणामों ने साफ कर दिया है कि प्रधानमंत्री मोदी ही देश के एकमात्र सर्वोच्च और सर्वमान्य नेता हैं जिनके नेतृत्व में भाजपा अपनी राजनीति को और तेजी से आगे बढ़ाएगी। बिहार के चुनाव ने देश में यह भी स्पष्ट संदेश दे दिया है कि मतदाता यानी प्रदेश और देश के नागरिक अब राजनीति से परे देश, अपने प्रदेश, अपने जिले और अपने गांव के विकास की बात को सुनना, जानना और और उस पर हकीकत में अमल करने की चर्चा में ज़्यादा दिलचस्पी रखते हैं। कुल मिलाकर, बिहार के चुनावों का संदेश साफ है कि बिहार ही नहीं, देश के मतदाताओं यानी नागरिकों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत 2030 के एजेंडे पर अपनी मुहर लगाकर अपनी सहमति, स्वीकृति और समर्थन दिया है जो कि आज दुनिया के उथल-पुथल भरे वातावरण के लिए निहायत जरूरी है।
कुल मिलाकर बिहार के चुनाव परिणामों ने दुनिया को यह बता दिया है कि (खासतौर पर अमेरिका के परिप्रेक्ष्य में) भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के ही नहीं, दुनिया के सबसे ताकतवर नेता के रूप में उभरे हैं।































