ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। एचडी एचएचआई और भारत की कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड ने एक अहम समझौता किया है। इसका फोकस भारतीय नौसेना के लैंडिंग प्लेटफॉर्म डॉक (एलपीडी) प्रोग्राम पर है। यह कदम भारत की समुद्री शक्ति बढ़ाएगा। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अपनी भूमिका मजबूत करेगा।
दक्षिण कोरिया की एचडी हुंडई इंडस्ट्रीज (एचडी एचएचआई) और भारत की कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (सीएसएल) ने विगत सप्ताह एक अहम समझौता (एमओयू) किया है। इस समझौते का मुख्य फोकस भारतीय नौसेना के एलपीडी प्रोग्राम पर है। यह कदम भारत की समुद्री शक्ति बढ़ाएगा। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अपनी भूमिका मजबूत करेगा।
समझौते में क्या है?
इस समझौते के तहत एचडी एचएचआई सीएसएल को अपनी अनुभव-भरी तकनीकी विशेषज्ञता साझा करेगी। इसमें प्रोजेक्ट प्लानिंग, आधुनिक उपकरणों की खरीद, उत्पादन तकनीक और भारतीय इंजीनियर्स को प्रशिक्षण देना शामिल है. इसका उद्देश्य एलपीडी को ‘मेड इन इंडिया’ बनाने की प्रक्रिया को तेज करना है।
एलपीडी जहाज 29000 टन वजनी होंगे। इन्हें कई रोल में इस्तेमाल किया जा सकेगा। ये जहाज टैंक्स, सैनिक और लैंडिंग क्राफ्ट एयर कुशन को समुद्र से सीधे तट पर उतारने में सक्षम होंगे। हर जहाज में 10-12 हेलिकॉप्टर के लिए फ्लाइट डेक, कमांड सेंटर होंगे। इसके लिए सबमर्सिबल के लिए वेल डेक और आपदा प्रबंधन के लिए अस्पताल भी होंगे।
सीएसएल पहले से ही आईएनएस विक्रांत जैसे स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर्स बना चुकी है। एचडी एचएचआई के अनुभव से सीएसएल की क्षमता और बढ़ेगी। यह भारत के विशेष प्रकार के जहाजों के बाजार में बड़ा खिलाड़ी बन सकता है।
भारत का फायदा
यह समझौता भारत की नई टीपीसीआर (टेक्नोलॉजी पर्सपेक्टिव एंड कैपेबिलिटी रोड मैप) 2025 के साथ भी मेल खाता है। टीपीसीआर के तहत अगले 15 सालों में नौसेना और अन्य सशस्त्र बलों के लिए एआई, हाइपरसोनिक हथियार, डायरेक्टेड-एनर्जी और स्मार्ट युद्धक उपकरणों पर जोर दिया गया है। इस रोडमैप में एलपीडी जैसे एंफीबियस और नई पीढ़ी के डिस्ट्रॉयर जहाजों पर खास ध्यान है।































