ब्लिट्ज ब्यूरो
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने राज्य में प्रशासनिक, सामाजिक और आर्थिक सुधारों की दिशा में कई अहम निर्णय लिए हैं। कैबिनेट की बैठक में किरायेदारी व्यवस्था, स्वास्थ्य शिक्षा, दुकान एवं वाणिज्य अधिष्ठान अधिनियम, और वृद्धावस्था पेंशन से जुड़े महत्वपूर्ण प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है। इन फैसलों को सरकार ने पारदर्शी शासन और जनसुविधाओं को आधुनिक बनाने की दिशा में बड़ा कदम कहा है। राज्य में किराए को लेकर चलने वाले विवादों और अनियमितताओं को ध्यान में रखते हुए सरकार ने 10 वर्ष तक की अवधि वाले किरायानामा विलेखों पर स्टाम्प शुल्क और रजिस्ट्रेशन फीस में व्यापक छूट देने का फैसला किया है।
कैबिनेट की मंजूरी के मुख्य बिंदु
यूपी में अब तक 1 वर्ष से अधिक अवधि के किरायानामा की रजिस्ट्री अनिवार्य थी लेकिन अधिकांश अनुबंध मौखिक या बिना रजिस्ट्री के ही होते थे। इस कारण बाद में स्टाम्प शुल्क की वसूली करनी पड़ती थी और विवाद बढ़ते थे। सरकार का अनुमान है कि उच्च शुल्क की वजह से लोग रजिस्ट्री से बचते थे। नई व्यवस्था के तहत औसत वार्षिक किराए और किरायेदारी अवधि के आधार पर अधिकतम शुल्क सीमा तय कर दी गई है। 10 लाख रुपये की वार्षिक किराया सीमा रखी गई है। टोल पट्टे और खनन पट्टे को छूट से बाहर रखा गया है।
अब नई अधिकतम शुल्क दरें निर्धारित की गई हैं। इसके तहत औसत वार्षिक किराया 2,00,000 रुपये तक 1 वर्ष तक का शुल्क 500 रुपये, 1 से 5 वर्ष तक का 1500 रुपये और 5 से 10 वर्ष तक 2000 रुपये निर्धारित हुआ है। औसत वार्षिक किराया 2,00,001 से 6,00,000 रुपये तक के लिए 1 वर्ष का शुल्क 1500 रुपये रखा गया है। वहीं, 1 से 5 वर्ष तक के लिए 4500 रुपये और 5 से 10 वर्ष तक के लिए 7500 रुपये निर्धारित किया गया है। औसत वार्षिक किराया 6,00,001 से 10,00,000 रुपये तक 1 वर्ष तक के लिए शुल्क 2500 रुपये निर्धारित किया गया है। वहीं, 1 से 5 वर्ष तक के लिए 6000 रुपये और 5 से 10 वर्ष तक के लिए शुल्क 10,000 रुपये निर्धारित किया गया।
बागपत में पीपीपी मोड पर मेडिकल कॉलेज
सरकार ने स्वास्थ्य शिक्षा के विस्तार के लिए बागपत जिले में पीपीपी मोड पर नया मेडिकल कॉलेज बनाने की स्वीकृति दी है। कैबिनेट के निर्णय के तहत कॉलेज के लिए 5.07 हेक्टेयर भूमि चिकित्सा शिक्षा विभाग को मुफ्त दी जाएगी।





























