ब्लिट्ज ब्यूरो
भारत का लॉजिस्टिक्स सेक्टर एक नये चरण में प्रवेश कर रहा है और खुद को एक तेज स्मार्ट और वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी क्षेत्र में परिवर्तित कर रहा है। एकीकृत डिजिटल प्लेटफार्मों से जो माल परिवहन को नियंत्रित करते हैं, उनसे लेकर आधुनिक अवसंरचना तक देश के हर भाग को जोड़ने वाला अगली पीढ़ी का लॉजिस्टिक इकोसिस्टम धीरे धीरे आकार ले रहा है। लक्षित नीति सुधारों, सांस्थानिक पुनर्व्यवस्था और तकनीक आधारित समाधानों की सहायता से सरकार लॉजिस्टिक्स को भारत के आर्थिक विकास और वैश्विक व्यापार व्यवस्था के मुख्य वाहक के रूप में परिवर्तित कर रही है।
ढांचागत बदलावों की लहर देश भर में लॉजिस्टिक्स के नियोजन, कार्यान्वयन और परिमापन के तरीके को बदल रही है। मसलन भारत गंगा के मैदान में लॉजिस्टिक्स नेटवर्क को एक एकीकृत मल्टीमॉडल तरीके के जरिये बदल रहा है जिसमें रोड, रेल और अंतर्देशीय जलमार्ग शामिल हैं और जिसकी वजह से परिवहन तेज, सस्ता और ज्यादा हरित हो रहा है। पूर्वी समर्पित माल गलियारा (ईडीएफसी) एक तीव्र गति वाली मालवाहन सेवा है जिसने वैगन टर्नअराउंड समय को 15-16 दिन से घटाकर 2-3 दिन कर दिया है व ट्रांजिट समय को 60 घंटे से घटाकर 35-38 घंटे कर दिया है।
मालवाहन परिचालन का प्रबंधन अब प्रयागराज में मध्य नियंत्रण केन्द्र के जरिये होता है जिसकी वजह से मौजूदा रेल नेटवर्क पर भीड़ कम होती है। गंगा जलमार्ग का पुनर्जीवन वाराणसी में ईडीएफसी से जुड़ा है जो विनिर्माताओं को कार्गो को हल्दिया जैसे पूर्वी बंदरगाहों तक ले जाने की अनुमति देता है। कॉरिडोर के नजदीक भंडारण और लॉजिस्टिक्स सुविधाओं के तीव्र विकास ने रोजगार बढ़ाया है, भंडारण प्रबंधन में सुधार किया है और समय पर उत्पादन और निर्यात सुनिश्चित किया है। इन परियोजनाओं को विश्व बैंक से अच्छा निवेश मिला है जिसमें 1.96 अरब डॉलर ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर और रेल लॉजिस्टिक्स पहलकदमियों के लिए और 375 मिलियन डॉलर गंगा जलमार्ग विकास के लिए है।































