ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। ऑपरेशन सिंदूर के बाद स्ट्रैटेजिक पॉलिसी में काफी बदलाव आया है। देसी टेक्नोलॉजी की मदद से फाइटर जेट और मिसाइल बनाने की रफ्तार को और तेज कर दिया गया है। भारत अभी भी फाइटर जेट का इंजन घरेलू स्तर पर नहीं बना पाता है, लेकिन अब इससे जुड़े प्रोजेक्ट पर हजारों करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। अल्ट्रा मॉडर्न टेक्नोलॉजी की मदद से पांचवीं पीढ़ी का देसी फाइटर जेट डेवलप करने के डिफेंस प्रोजेक्ट पर भी काम चल रहा है। भारत स्वदेशी एयर डिफेंस सिस्टम बनाने में जुटा है, जिसे ‘मिशन सुदर्शन’ का नाम दिया गया है। इसके साथ ही एक और अहम प्रोजेक्ट पर भी काम चल रहा है। भारत अल्ट्रा मॉडर्न हाइपरसोनिक मिसाइल डेवलप करने में जुटा है।
यह मिसाइल मैक-5 या फिर 6 की रफ्तार से टारगेट की ओर मूव करने में सक्षम होगी। इसका मतलब यह हुआ कि हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल 7400 किलोमीटर प्रति घंटे या उससे भी ज्यादा की रफ्तार से दुश्मनों पर धावा बोल सकती है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल डेवलप करने में जुटा है। इस दिशा में डीआरडीओ को एक बड़ी सफलता मिली है। बता दें कि पाकिस्तान में तबाही मचाने वाली ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल की स्पीड 2300 से 3700 किलोमीटर प्रति घंटे है।
भारत ने 2024 में हाइपरसोनिक हथियार तकनीक के क्षेत्र में बड़ी छलांग लगाई। डीआरडीओ ने ईटी-एलडीएचसीएम कार्यक्रम के तहत महत्वपूर्ण प्रगति की पुष्टि की है। यह प्रोजेक्ट लंबी दूरी तक उड़ान भरने वाली हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल के लिए मूल तकनीक विकसित करने के उद्देश्य से चलाया जा रहा है। रक्षा मंत्रालय की 2024 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, डीआरडीओ ने एक्टिव-कूल्ड स्क्रैमजेट इंजन का डिजाइन सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। यह इंजन वह मुख्य तकनीक है, जो मिसाइल को लंबी दूरी तक हाइपरसोनिक गति (मैक 5 से अधिक) बनाए रखने में सक्षम बनाएगी। हाइपरसोनिक उड़ान के दौरान मिसाइल की बाहरी सतह और इंजन पर अत्यधिक तापमान पैदा होता है। ऐसे में एक्टिव कूलिंग सिस्टम बेहद जरूरी होता है, ताकि मिसाइल क्षतिग्रस्त न हो और अपनी गति बनाए रख सके। इसी कारण स्क्रैमजेट इंजन के एक्टिव-कूल्ड डिजाइन को पूरा होना भारत के लिए एक बड़े तकनीकी उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है। दुनिया के बहुत कम देशों ने ऐसी तकनीक पर प्रभुत्व हासिल किया है।
प्रोजेक्ट के तहत सिर्फ डिजाइन ही नहीं बल्कि एक सब-स्केल कम्बस्टर प्रोटोटाइप भी तैयार किया गया और उसका रीक्षण किया गया। यह परीक्षण हाई-एनथैल्पी टेस्ट फैसिलिटी में किया गया, जिसमें वास्तविक उड़ान जैसी परिस्थितियां तैयार की गई थीं. ‘इंडियन डिफेंस रिसर्च विंग’ की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रायल में 60 सेकेंड तक स्थिर दहन हासिल किया गया, जो अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है। एक वरिष्ठ वैज्ञानिक के अनुसार, इस परीक्षण ने स्क्रैमजेट इंजन की पूरी क्षमता की पुष्टि की है और इससे भविष्य के पूर्ण-स्केल मॉडलों के विकास में मदद मिलेगी। ये उपलब्धियां भारत के पहले हाइपरसोनिक परीक्षण वाहन एचएसटीडीवी की सफलता के बाद हासिल की गई हैं, जिसने 2020 में मैक 6 की गति प्राप्त की थी।































